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Mumbai metro carshed Controversy: मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे का बड़ा फैसला, मेट्रो कार शेड को वापस आरे कॉलोनी शिफ्ट करने का दिया आदेश

Mumbai metro carshed Controversy: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने मेट्रो कारशेड को वापस आरे कॉलोनी शिफ्ट करने का आदेश दिया है। बता दें कि 2016 में तत्कालिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कारशेड को आरे में बनाए जाने को लेकर फैसला किया था लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उद्धव सरकार ने इस कारशेड को कांजुर में बनाने को लेकर फैसला किया। इसी बाबत अब फिर से इस फैसले को पलट कर कारशेड का निर्माण आरे कॉलोनी में करवाया जा रहा है।

Uddhav Thackeray and Eknath Shinde- India TV Hindi Uddhav Thackeray and Eknath Shinde

Highlights

  • शिंदे का बड़ा फैसला- आरे में ही बनाया जाएगा मेट्रो कारशेड
  • उद्धव ठाकरे ने कहा- नई सरकार मेरा गुस्सा मुंबई पर न उतारे
  • फडणविस बोले- उद्वव सरकार ने सिर्फ माफियागिरी की, विकास तो अब होगा

Mumbai metro carshed Controversy: महाराष्ट्र की नई सरकार ने मेट्रो कारशेड बनाने को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है और उद्धव ठाकरे के फैसले को पलटने की तैयारी में है। आरे में मेट्रो कार शेड बनाने को लेकर शिंदे सरकार ने एडवोकेट जनरल से सरकार का पक्ष अदालत में रखने को कहा है। इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर से राज्य में सियासी खेल शुरु हो गया है। उद्वव ठाकरे शुक्रवार को मीडिया के सामने आए उन्होंने आरे में मेट्रो कारशेड बनाने का विरोध किया।

उद्धव ने कहा- नई सरकार करे मेरा गुस्सा मुंबई पर न उतारे

शिंदे की पहली कैबिनेट में मेट्रो कारशेड को लेकर आए आदेश पर उद्धव ठाकरे ने शिवसेना भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मेरे खिलाफ जो करना है नई सरकार करे लेकिन मेरा गुस्सा मुंबई पर न उतारे। मैंने पहले ही कहा था कि आरे वाला प्लॉट मत लो वहां जंगल है इससे वन्यजीवों आशियाना उजड़ जाएगा। कंजूरमार्ग वाले प्लाट पर एक बार फिर से विचार किया जाए यह मेरा आग्रह है।

उद्धव पर बीजेपी नेता का पलटवार

बीजेपी के दिग्गज नेता किरीट सोमैया ने शिंदे के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उद्वव सरकार ने सिर्फ माफियागिरी की है, काम तो अब शुरु होगा। आरे मेट्रो कार शेड हम अब कांजुर से वपास ला रहे है और आरे में विकास का काम हम करेंगे, उद्धव  ठाकरे ने ढाई साल तक मेट्रो की वाट लगाई। हाई कोर्ट ने पहले ही कहा था कि कांजुर कारशेड को शिफ्ट नही किया जा सकता।

अभी भी तय नहीं कि कारशेड कहां बनेगा

मुम्बई में मेट्रो का ये कारशेड बनाने करीबन 136 हेक्टर जमीन की जरूरत है पर अभी तक राजनीतिक विरोध और रोड़े के कारण ये प्रोजेक्ट किस लोकेशन पर बनेगा ये तय नही हुआ। अब नव नियुक्त सरकार ने आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के प्रयास शुरू कर दिए है।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि जब महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना की संयुक्त सरकार थी तब वर्ष 2016 में तत्कालिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मेट्रो 3 के कारशेड का निर्माण आरे में करने का फैसला किया था। सरकार के इस फैसले से शिवसेना खुश नहीं थी और इसका विरोध भी किया था। पर्यावरण हानि का दावा करते हुए आरे कारशेड का दावा कोर्ट तक गया और कोर्ट ने फडणवीस सरकार को आरे में ही मेट्रो कारशेड के निर्माण का आदेश दिया था। इस दौरान करीब ढाई हजार से ज्यादा पेड़ काटे भी गए। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद 11 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने आरे कारशेड को रद्द कर कांजुरमार्ग में कारशेड बनाने का निर्णय लिया। 

कांजुर की जमीन को केंद्र सरकार ने अपना बताया

केंद्र सरकार ने कांजुर की जमीन पर मालिकाना हक जताया और रोक की मांग की तब से मामला अब तक अदालत में अटका है। केंद्र सरकार ने कांजुर के  इस जगह पर सॉल्ट पैन होने की बात कही और इसे अपनी जमीन बताया। केंद्र सरकार अधिकारी संजय कुमार ने इस बाबत पत्र भी भेजा था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि कांजुरमार्ग की जगह को MMRDA को देने का निर्णय रद्द किया जाए। यह जगह साल्ट पैन की है। इस जगह पर हमारा अधिकार है। केंद्र सरकार की तरफ से इस जगह पर मेट्रो कार शेड के काम को रोकने का भी आदेश दिया गया था।

कांजुर में मेट्रो कारशेड बनाने को लेकर उद्धव का पक्ष

उद्वव ठाकरे की दलीलें थी कि आरे की बजाए कांजुर मार्ग में मेट्रो कारशेड बनाया जाएगा तो पर्यवारण और जंगल की रक्षा होगी। राज्य सरकार मुफ्त में जमीन देगी जिससे 5 हजार करोड़ बचेंगे। साथ ही कांजुर मेट्रो 4, 6, 14, 3 और अन्य लाइन के लिए नोडल सेंट्रल पॉइंट होगा। जिससे सहूलियत भी होगी। कांजुर में जमीन बड़ी होने से आगे एक्सटेंशन में भी कोई दिक्कत नहीं होगी जबकि आरे में जमीन की जरूरत पड़ी तो और ज्यादा पेड़ काटने पड़ेंगे और पर्यावरण का नुकसान होगा। उद्वव ठाकरे ने आगे चलकर आरे जंगल में कारशेड से सटी 600 एकड़ जमीन भी वन्यजीव के लिए संरक्षित की ताकि आगे कोई जंगल कटाई न हो।

कारशेड जमीन विवाद से कितना हुआ नुकसान

इस विवाद के कारण भूमिगत मेट्रो-3, (कोलाबा-बांद्रा-सीपज़) की लागत 5 हजार करोड़ बढ़ गई और इसका काम ठप हो गया। कोर्ट में मामला पेंडिंग होने और कांजुर में स्थिगिती के कारण रोज साढे़ 4 करोड़ की लागत बढ़ती गई। प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर तकरीबन 5 हजार करोड़ हो गई। 

यही कारण है कि प्रोजेक्ट के लटके रहने से और ज्यादा लागत न बढ़े इसलिए एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस चाहते है कि अदालत में राज्य के महाधिवक्ता प्रेजेंटेशन दे और आरे में प्रोजेक्ट होने के फायदे और कांजुर में प्रोजेक्ट होने में लग रही देरी और नुकसान की बात कोर्ट को समझाएं। (रिपोर्ट - जयप्रकाश सिंह और संदीप चौधरी)

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