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शरद पवार ने प्रधानमंत्री डिग्री विवाद की निकाली हवा, कहा- पीएम की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं

पिछले हफ्ते से शरद पवार की एनसीपी लगातार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को लेकर नरम रुख अपना रही है। अडानी-जेपीसी विवाद के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी के डिग्री विवाद पर भी शरद पवार ने दो टूक राय रखते हुए इसे गैर जरूरी बता दिया। पवार के इस बयान के बाद विपक्ष में विवाद पैदा हो सकता है।

NCP प्रमुख शरद पवार - India TV Hindi Image Source : PTI NCP प्रमुख शरद पवार

गौतम अडानी मुद्दे पर विपक्षी दलों से अलग राय रखने के बाद शरद पवार ने विपक्ष के एक और मुद्दे की हवा निकाल दी है। ये मुद्दा है प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद का। उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल सहित विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहें है। आज महाराष्ट्र के नासिक में जब शरद पवार से प्रधानमंत्री के डिग्री विवाद पर सवाल पूछा गया तो पवार ने पलटकर पत्रकारों से ही पूछ लिया, आज देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए। आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, आज महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इसपर चर्चा जरूरी है। 

"56 साल से जनता का प्रतिनिधि हूं, कुछ तो मालूम होगा" 
अडानी के मुद्दे पर अलग राय की वजह से महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी में दरार पैदा हो रही है और पवार बीजेपी की स्क्रिप्ट पढ़ रहें हैं। इस तरह के आरोप शरद पवार पर लग रहें हैं। इन आरोपों पर सफाई देते हुए शरद पवार ने फिर समझाया कि आखिर उन्हे क्यों लगता है कि मौजूदा स्थिति में जेपीसी की जांच उचित नहीं है। पत्रकारों के सवाल के जवाब में शरद पवार ने कहा, संसद में किसी मुद्दे पर किसी सदस्य को क्या कहना चाहिए इसपर मत भिन्नता हो सकती है। मेरा मत ये है कि जांच होनी चाहिए, लेकिन जांच के लिए जेपीसी माध्यम योग्य नहीं है। क्यों योग्य नहीं है इस पर बात करतें है। लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की संख्या पर जेपीसी की रचना होती है। उदाहरण के तौर पर अगर 21 सदस्यों की जेपीसी बनी तो लोकसभा में बीजेपी के 300 सदस्य हैं ऐसे में अगर 21 सदस्यों की जेपीसी बनती है तो उस जेपीसी में बीजेपी के करीब 14 से 15 सदस्य हो सकतें है और विपक्ष के 6 सदस्य हो सकतें है। 

किसी कमेटी में 6 लोग कितना प्रभावी तरीके से काम कर पाएंगे इसको लेकर मेरे मन में शंका है। फिर भी अगर पूरा विपक्ष कह रहा है कि जेपीसी बने तो मुझे उसपर कोई आपत्ति नहीं है। शरद पवार ने आगे कहा कि इस साल मुझे विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में काम करते हुए 56 साल हो गए है। अगर कोई नेता 56 साल से विधि मंडल में काम कर रहा है तो उसे कुछ तो मालूम होगा और इसीलिए हमारा सोचना है कि जेपीसी के बजाय सुप्रीम कोर्ट की जांच ज्यादा उपयुक्त होगी लेकिन अगर कांग्रेस और अन्य साथी दल जेपीसी चाहते हैं तो हम उसका विरोध नहीं करेंगे।

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