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Hindi News भारत राजनीति भारत को अचानक 70 हजार सैनिकों को सीमा पर क्यों भेजना पड़ा-आप की अदालत में एस. जयशंकर का खुलासा

भारत को अचानक 70 हजार सैनिकों को सीमा पर क्यों भेजना पड़ा-आप की अदालत में एस. जयशंकर का खुलासा

आप की अदालत में शनिवार की रात विदेश मंत्री एस जयशंकर रजत शर्मा के तीखे सवालों का जवाब दे रहे हैं। एस जयशंकर ने बताया कि सीमा पर 70 हजार सैनिकों को सीमा पर क्यों भेजा?

s jaishankar in aap ki adalat- India TV Hindi आप की अदालत में एस जयशंकर का खुलासा

AAP KI ADALAT: देश के लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में शनिवार की रात रजत शर्मा के मेहमान के रूप में कटघरे में हैं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर। शो में एस जयशंकर सभी सवालों का बेबाकी से जवाब दे रहे हैं। जयशंकर ने शो के दौरान खुलासा किया कि भारत को अचानक 70 हजार सैनिकों को सीमा पर क्यों भेजना पड़ा। उन्होने कहा- " 2020 में हमारे यहां कोविड के कारण लॉ़कडाउन चल रहा था। चीन ने 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन करते हुए एलएसी पर अपनी सेना की तैनाती करनी शुरु कर दी थी।

जयशंकर ने कहा इन दोनों समझौतों में साफ लिखा था कि दोनों देशों की सेनाए्ंं वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी सेनाएं तैनात नहीं करेंगी और अगर तैनात करेगी तो पहले इसके बारे में दोनों देशों को एक-दूसरे को बताना पड़ेगा। ये 30 साल पुराने समझौते हैं जो नरसिम्हाराव की सरकार के समय हुए थे। उन समझौतों में कोई गलती नहीं है लेकिन चीनियों ने उनका उल्लंघन किया और तब किया जब कोविड चल रहा था। अब हो सकता कि उनके मन में रहा हो कि कोविड के कारण हम अपनी सेना का काउंटर डिप्लॉयमेंट नहीं कर पाएंगे तो अप्रैल-जून 2020 में मोदी जी ने तय किया कि अगर हमें चीन से कोई खतरा है तो हमें काउंटर डिप्लॉय करना चाहिए।

उन्होने उस समय पूरी एयर फोर्स और हमारे रेल सिस्टम और रोड सिस्टम की ताकत लगाई और अकेली एयरफोर्स से हमने 70,000 जवानों को एयरलिफ्ट कराया। हमने टैंक को भी एयरलिफ्ट किया। हमने बड़े बड़े गन, ट्रक सब भेजे, उस समय वहां अप्रैल के समय में भी बर्फ होती है। मोदीजी के आने से पहले हमारे बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर  पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था। उस समय यूपीए के सरकार के समय ऑन रिकॉर्ड कहा गया कि अगर आप बॉर्डर की ऐसे ही छोड़ दे तो चीन भी नहीं आ पायेगा। ये उनकी सोच थी। पिछले जिस साल में बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दो गुना-तीन गुना काम हुआ है। अगर लोगों को ज़मीन की इतनी फिक्र है तो जो 38 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन जिस पर तीन से 1962 में कब्जा किया, तो उन्हें उनकी तब चिंता करनी चाहिए थी। 

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