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Hindi News भारत राजनीति अजित पवार को छोड़कर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को क्यों बनाया कार्यकारी अध्यक्ष? शरद पवार ने बताया कारण

अजित पवार को छोड़कर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को क्यों बनाया कार्यकारी अध्यक्ष? शरद पवार ने बताया कारण

शरद पवार ने अजित पवार को छोड़कर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को NCP का कार्यकारी अध्यक्ष क्यों बनाया इसको लेकर उन्होंने कारण साफ किया है। इस दौरान पवार ने विपक्ष की मीटिंग को लेकर भी अहम बातें बताईं।

Sharad Pawar- India TV Hindi Image Source : PTI NCP नेता शरद पवार

NCP नेता शरद पवार ने आज सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को NCP का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। इसके बाद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने बताया कि एनसीपी के दो कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए ताकि काम का बटवारा हो और हम देशभर में पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि सुप्रिया सुले, प्रफुल पटेल, जिनको नई जिम्मेदारी दी गई है उनका नाम सीनियर लोगों ने ही बताया।
 
अजित पवार को क्यों नहीं चुना गया?
शरद पवार ने इस दौरान कहा कि जंयन्त पाटिल महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष हैं। अजित पवार नेता विपक्ष हैं, विधामसभा में उनके पास पहले से जिम्मेदारी है। सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं थी, वो वक्त देने के लिए राजी थे इसलिए उन्हें चुना गया। इस फैसले से पार्टी में कोई नाराज नहीं है।

"2024 में प्रधानमंत्री फेस हमारा मुद्दा नहीं"
इतना ही नहीं पवार ने आगे कहा कि 23 मई को पटना में हम विपक्ष के लोग मिलेंगे। इसको लेकर एक सुझाव आया है कि जिस राज्य में बीजेपी मजबूत है, वहां विपक्ष सब मिलकर एक ही उम्मीदवार खड़ा करें। इस सुझाव पर पटना मीटिंग में चर्चा होगी। इस बैठक में क्या फाइनल होगा, ये नहीं बता सकता पर ये मुद्दा चर्चा के लिए रहेगा। उन्होने कहा कि जो लोग परिवर्तन चाहते हैं, उनके लिए ये मीटिंग अहम होगी। शरद पवार ने इस दौरान कहा कि 2024 में प्रधानमंत्री कौन होगा, ये मुद्दा हमारे सामने नहीं है। 1977 में मोरारजी देसाई को जैसे बनाया वैसे चुनाव नतीजों के बाद सोचा जाएगा।

अगला एनसीपी अध्यक्ष कौन होगा?
सुप्रिया सुले या प्रफुल्ल पटेल में से अगला एनसीपी अध्यक्ष कौन होगा? इस सवाल पर पवार ने कहा कि अभी जगह खाली नहीं है, जब होगी तब देखेंगे। वहीं महाराष्ट्र में हिंसा की घटनाओं पर पवार ने कहा कि बीजेपी सिर्फ महाराष्ट्र नहीं देशभर में यही कर रही है। कर्नाटक में हनुमान का मुद्दा उठाया। जनता ने स्वीकार नहीं किया। महाराष्ट्र में भी साम्प्रदायिक प्रचार स्वीकार नहीं होगा। सब फिजूल के गैरजरूरी मुड्डे उठाये जा रहें हैं।

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