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टिकैत ने कहा, वायु प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए

उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता उस स्तर तक गिरती है, जो सर्दी के मौसम में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

Rakesh Tikait, Rakesh Tikait Air Pollution, Rakesh Tikait Farmers Air Pollution- India TV Hindi Image Source : PTI एसकेएम विवादित कृषि कानूनों की वापसी और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है।

Highlights

  • एसकेएम विवादित कृषि कानूनों की वापसी और फसलों के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है।
  • राकेश टिकैत का भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा है।
  • टिकैत केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शनों के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक हैं।

गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि वायु प्रदूषण के लिए किसानों या पराली जलाने को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शनों के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक BKU के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने प्रदूषण संकट के लिए किसान समुदाय को जिम्मेदार ठहराने वालों से माफीनामे की भी मांग की।

टिकैत ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए किसानों को खलनायक बताने वालों को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है, क्योंकि केवल 10 फीसदी प्रदूषण ही पराली से होता है और वह भी डेढ़ से दो महीने।’ टिकैत का बीकेयू , संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का हिस्सा है, जो नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर 3 केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है।

SKM विवादित कृषि कानूनों की वापसी और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता उस स्तर तक गिरती है, जो सर्दी के मौसम में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाए जाने, औद्योगिक और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन और पटाखों जैसे अन्य कारकों को जिम्मेदार माना जाता है।

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