शिवलिंग और गणेश को तुलसी के पत्ते अर्पित करना वर्जित
शास्त्रों के अनुसार तुलसी का विशेष महत्व है, लेकिन शिव और गणेश पूजन में तुलसी का इस्तेमाल नही किया जाता है। इसके बारें में पुराणो में दो कथा बताई गई है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति दैत्यों के राजा शंखचूड़ का वध किया था, जिसके कारणशिव पूजन में तुलसी को चढातें है और न ही शंख से शिवलिंग पर जल चढ़ाते है। जबकि एक अन्य कथा के अनुसार एक बार गणेशजी ने तुलसी के सामने विवाह का प्रस्ताव किया,लेकिन तुलसी ने अस्वीकार कर दिया यह कह कर कि वो ब्रह्मचारी है। जिसके कारण गुस्सा होकर तुलसी ने उन्हें दो विवाह का श्राप दे दिया और गणेश जी ने तुलसी को एक राक्षस से विवाह का श्राप दे दिया। जिसके कारण तुलसी गणेश जी में अर्पित नही की जाती है।
तुलसी की एक पत्ती में छिपा है औषधीय गुण
जिस तरह तुलसी पुजनीय है उसी तरह इसमें औषधीय गुणों की भरमार है। इसकी सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। मौसम बदलने से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से तुलसी अच्छी तरह बचाती है। तुलसी की पत्ती सेवन करने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है। इसके लिए हमें रोजाना इसका सेवन करना चाहिए।
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