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कोर्टिसोल बढ़ने पर शरीर में दिखने लगते हैं ये गंभीर संकेत, नहीं रखा खुद का ख्याल तो हो जाएंगे डिप्रेशन के शिकार

कोर्टिसोल, जिसे 'तनाव हार्मोन' के नाम से जाना जाता है, शरीर में तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन, जब शरीर में यह हॉर्मोन असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो कई गंभीर संकेत दिखाई देने लगते हैं।

कोर्टिसोल बढ़ने पर शरीर में दिखने लगते हैं ये संकेत- India TV Hindi Image Source : AI कोर्टिसोल बढ़ने पर शरीर में दिखने लगते हैं ये संकेत

कोर्टिसोल, जिसे 'तनाव हार्मोन' के नाम से जाना जाता है, शरीर में तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एड्रेनल ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है और ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिज्म और नींद-जागने के चक्र जैसे शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है। लेकिन जब शरीर में यह हॉर्मोन असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो कई गंभीर संकेत दिखाई देने लगते हैं। यदि समय रहते इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो आप डिप्रेशन की चपेट में भी आ सकते हैं। आइए जानते हैं कोर्टिसोल के बढ़ने पर कौन से संकेत दिखाई देते हैं:

  • अनियंत्रित वजन बढ़ना: कोर्टिसोल का एक मुख्य कार्य चयापचय (मेटाबॉलिज्म) को विनियमित करना है। हाई कोर्टिसोल वाले लोगों का मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है जिससे वजन तेजी से बढ़ता है। इसके अतिरिक्त, हाई कोर्टिसोल भूख भी बढ़ा सकता है, जिससे अधिक खाने की प्रवृत्ति होती है।

  • त्वचा और बालों में बदलाव: कोर्टिसोल एक ग्लूकोकोर्टिकोइड है जो त्वचा और बालों को पतला और कमजोर कर सकता है। बढ़े हुए कोर्टिसोल और एण्ड्रोजन के कारण हिर्सुटिज़्म होता है, जो चेहरे और गर्दन पर दिखाई देता है। वहीं, हाई कोर्टिसोल बालों को भी कमजोर करता है जिससे बाल झड़ने या गंजेपन की समस्या हो सकती है।

  • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: चिंता, डिप्रेशन और मूड स्विंग कोर्टिसोल के सामान्य लक्षण हैं। कोर्टिसोल मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों को प्रभावित करता है जो चिंता, अवसाद और यहां तक ​​कि अनिद्रा का कारण बनता है। कुशिंग सिंड्रोम (कुशिंग सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है जो शरीर में कोर्टिसोल के उच्च स्तर के कारण होता है। यह स्थिति तब होती है जब शरीर में बहुत अधिक कोर्टिसोल बनता है) जैसी गंभीर बीमारी के साथ रहना भी तनाव और अनिश्चितता के कारण मूड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

  •  थकान और कमजोरी: आप आम तौर पर सामान्य से अधिक थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकते हैं, और मांसपेशियों में भी कमजोरी हो सकती है। कुशिंग सिंड्रोम के साथ मानसिक थकान भी होती है, जो इलाज के बाद भी बनी रह सकती है। कुशिंग सिंड्रोम से पीड़ित कई लोगों में अवसाद होता है, जिसमें थकान आम बात है।

  • प्रजनन क्षमता पर असर: उच्च कोर्टिसोल स्तर की वजह से पुरुष और महिला की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। महिलाओं में अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्म हो सकता है, जिससे गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है।  

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