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Hindi News लाइफस्टाइल हेल्थ 15 से 35 साल की उम्र के लोग सबसे अधिक होते हैं एंग्जाइटी के शिकार, जानें लक्षण, कारण और बचाव

15 से 35 साल की उम्र के लोग सबसे अधिक होते हैं एंग्जाइटी के शिकार, जानें लक्षण, कारण और बचाव

भागती-दौड़ती लाइफ में ऐसे कोई इंसान नहीं होगा कि उसे अपने भविष्य या फिर बात का डर या फिर अनुभव न हो। लेकिन जब ये चीजें आपके कंट्रोल से बाहर होने लगे तो समझ लें कि आप एंग्जाइटी के शिकार हो चुके हैं।

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भागती-दौड़ती लाइफ में ऐसे कोई इंसान नहीं होगा कि उसे अपने भविष्य या फिर बात का डर या फिर अनुभव न हो। लेकिन जब ये चीजें आपके कंट्रोल से बाहर होने लगे तो समझ लें कि आप एंग्जाइटी के शिकार हो चुके हैं। अगर यह कुछ समय तक रहें तो आपके लिए परेशान होने की बात नहीं है लेकिन अगर ये समस्या 6 माह या इससे अधिक समय तक बनी रहें तो इसे आप थोड़ा गंभीरता से लेना शुरू कर दें। खासतौर में शहरों की भागदौड़ भरी लाइफ में 15-35 साल की उम्र के लोग इस समस्या से सबसे अधिक शिकार होते है। जानें इस रोग के बारे में सबकुछ।

क्या है एंग्जाइटी डिसऑर्डर? 
एंग्जाइटी एक ऐसा मनोरोग है जिसे हर एक व्यक्ति कभी न कभी जरूर अनुभव करता है। किसी चीज को लेकर अधिक तनाव महसूस करना आज के समय में नॉर्मल बात है। लेकिन यह तनाव आपके हद से बाहर होने लगे तो समझ लें कि आपके एंग्जाइटी के शिकार हो चुके है। एंग्जाइटी के कुछ लक्षण जैसे थकान, सिरदर्द, अनिद्रा है। लेकिन यह व्यक्ति विशेष के साथ बदलते रहते है। इस डिसऑर्डर के शिकार होने के बाद आपके रोजमर्या की लाइफ में काफी प्रभाव पड़ता है। 

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के टाइप

एंग्जाइटी डिसऑर्डर कई तरह का हो सकता है। जानें इनके बारे में विस्तार से। 

ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर
इस डिसऑर्डर से जो व्यक्ति पीड़ित होते है वह लगातार कुछ न कुछ सोचते रहते हैं। ऐसे लोग अपने फ्यूचर के बारे में कुछ ज्यादा सोचते है। जिसके कारण अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए पैसे इकट्ठा करने जैसी कई अजीब हरकते करने लगते है।  

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जनरालाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर
इस डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति कुछ ज्यादा ही टेंशन लेने लगता है। फिर चाहें टेंशन लेने की बात हो या न हो। 

पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस
यह एक ऐसा डिसऑर्डर होता है जो किसी घटना या फिर कोई आघात होने के बाद विकसित होता है। जिसे व्यक्ति याद करता रहता है और भावनात्मक सुन्नता हो जाती है। 

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पैनिक डिसऑर्डर
इस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों को अक्सर ऐसा महसूस होता है जैसे उनकी सांस रुक रही है या उन्हें हार्ट अटैक आ रहा है।

सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर
इस डिसऑर्डर के व्यक्तियों को हमेशा लगता है कि सबका ध्यान उन्ही पर है। वह कुछ ज्यादा ही सोशल लाइफ से जुड़ जाते हैं।

एंग्जाइटी के लक्षण

  • याददाश्त कमजोर हो जाना। 
  • निगेटिव सोच में अपना कंट्रोल न रहना। 
  • दिल की धड़कने तेज हो जाना। 
  • पेट में अधिकतर हलचल महसूस होना। 
  • आंखों के आगे चमकीले उड़ते हुए बिंदु दिखाई देना। 
  • लगातार किसी न किसी बात पर चिंतित रहना। 
  • शरीर का लगातार कमजोर होना। 
  • कभी भी मन का शांत न होना। 
  • हाथ-पैर हमेशा ठंडे रहना।
  • रात को अचानकर बिना किसी कारण नींद खुल जाना।

एंग्जाइटी का रोकथाम

एंग्जाइटी का रोकथाम करना बहुत ही जरुरी होता है। नहीं तो इसके बढ़ जाने पर आपके दिनचर्या पर काफी प्रभाव पड़ता है। 

साइकोथेरेपी
आप चाहे तो साइकोथेरेपी की मदद ले सकते है। जिसमें आपकी मानसिक अवस्था की स्टडी की जाती है। जिसके बाद आपके परिस्थिति से तालमेत बिठाकर आपके दिमाग को शांत करने की कोशिश की जाती है। 

थोड़ा सा सामाजिक होने की करें कोशिश
इस संबंध में कई शोध हुए है। जिसमें ये बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादा से ज्यादा सामाजिक होते है उन्हें मानसिक रोग का खतरा न के बराबर होता है। 

शारीरिक एक्सरसाइज
शारीरिक रुप से हर एक व्यक्ति को जरुर सक्रिय रहना चाहिए। ऐसा करने से सिर्फ आपके शरीर ही स्वास्थ्य नहीं रहेगा बल्कि आपका मस्तिष्क में भी ब्लड सर्कुलेशन ठीक ढंग से होगा। इसके अलावा आप रोग का सहारा ले सकते है। 

  • ऐसे चीजों का सेवन न करें जो आपके एंग्जाइटी को बढ़ा देती है। 
  • अपने आहार में ऐसी चीजों को शामलि करें जिसमें भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार पाए जाते है। 

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