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विश्व में एक तिहाई मौतें होती है इस बीमारी के कारण, जानिए

धकर्ताओं ने 1990-2010 के बीच सीवीडी के प्रसार पर गौर किया तो पाया कि शुरुआती कुछ वर्षो में सीवीडी से मौत की दर में इजाफा हुआ, लेकिन उसके बाद एसडीआई के बढ़ने से इसमें तेजी से गिरावट आई, हालांकि बीते कुछ वर्ष से सीवीडी से होने वाली मौतों की दर स्थिर है

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हेल्थ डेस्क: भाग-दौड़ भरी लाइफ में हमारे पास इतना समय नहीं रह गए है कि हम किसी न किसी बीमारी का सामना कर रहे है। इन्हीं में से एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसके कारण हर साल एक तिहाई मौंते दिल संबंधी बीमारी के कारण होती है। हाल के एक ताजा अध्ययन ने हृदय रोगों के संबंध में चेतावनीपूर्ण खुलासा किया है।

अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में होने वाली हर तीन में एक मौत दिल संबंधी रोगों (सीवीडी) की वजह से होती है। शोधकर्ताओं ने 1990-2010 के बीच सीवीडी के प्रसार पर गौर किया तो पाया कि शुरुआती कुछ वर्षो में सीवीडी से मौत की दर में इजाफा हुआ, लेकिन उसके बाद एसडीआई के बढ़ने से इसमें तेजी से गिरावट आई, हालांकि बीते कुछ वर्ष से सीवीडी से होने वाली मौतों की दर स्थिर है। (भूलकर भी दूध के साथ न करें इन चीजों का सेवन, हो सकते है नपुंसक)

साल 1990 में वैश्विक स्तर पर प्रत्येक 1,00,000 लोगों पर 393 लोगों की मौत सीवीडी के कारण हुई। यह आंकड़ा 2010 में प्रत्येक 1,00,000 पर 307 मौतों का रहा और अगले पांच वर्षो में इसमें गिरावट आई और यह आंकड़ा प्रत्येक 1,00,000 पर 286 मौतों का रहा।

साल 1990-2010 में सीवीडी से आयु-मानकीकृत मृत्यु दर में वैश्विक स्तर पर गिरावट आई। इसकी वजह उच्च आय वाले देशों के सुधार रहे। लेकिन बीते पांच सालों में इसकी प्रगति में गिरावट आई है।

साल 2015 में 40 करोड़ लोग सीवीडी के साथ जी रहे हैं और दुनिया भर में सीवीडी से मरने वालों की संख्या करीब 1.8 करोड़ रही।

वाशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर ग्रेगरी रॉथ ने कहा, "सीवीडी के जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप, असंतुलित आहार, उच्च कोलेस्ट्रॉल, तंबाकू-धूम्रपान, शराब की ज्यादा खपत और मोटापा शामिल है जो पूरी दुनिया में आम है।"

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