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केरल में सन स्ट्रोक के कारण हुई 3 की मौत, जानें सन स्ट्रोक के लक्षण, कारण और बचाव

Sun Stroke Symptoms Causes and Treatmen: गर्मी केरल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली में भी जल्द ही देखन को मिलेगी। इस गर्मी के कारण हर साल न जाने कितने मामले सन स्ट्रोक से मौत के आते है। ऐसे में आप पहले से ही इसके बारें में जान लें। जिससे कि बाद में आपको पछताना न पड़े।

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Sun Stroke Symptoms Causes and Treatmen: गर्मियों का मौसम शुरु हो चुका है। जिसके साथ ही सन स्ट्रोक ने मरने वालों की खबरें सामने आने लगी है। हाल में ही केरल में सन स्ट्रोक के कारण 3 लोगों की मौत हो गई। गर्मी केरल ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली में भी जल्द ही देखन को मिलेगी। इस गर्मी के कारण हर साल न जाने कितने मामले सन स्ट्रोक से मौत के आते है। ऐसे में आप पहले से ही इसके बारें में जान लें। जिससे कि बाद में आपको पछताना न पड़े।

क्या है सन स्ट्रोक?
इस आम भाषा में 'लू' कहते है। जब कोई भीषण गर्मी में लू की चपेट आ जाता है। गर्मी के मौसम में तेज धूप के साथ गर्म हवाएं चलती हैं। इसके कारण लू लगने की संभावना बढ़ जाती है। वातावरण में होने वाले गर्म बदलाव के कारण शरीर में गर्मी प्रवेश कर जाती है, जिसे लू कहते हैं। इस दौरान तुरंत उसे खुद का ख्याल रखना चाहिए।

सन स्ट्रोक होने का कारण
दिमाग में हाइपोथैलेमस नामक एक भाग होता है, जो शरीर के तापमान को 95 से 98.6 फेरनहाइट के बीच नियंत्रित करता है। जब गर्मी की वजह से हाइपोथैलेमस असामान्य ढंग से काम करने लगता है, तो शरीर का तापमान बढ़ने लगता है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में सन स्ट्रोक होता है।

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सन स्ट्रोक के लक्षण
लू के लक्षण बहुत ही समान्य होते है। जिन्हें पहचान कर आसानी से इस समस्या से अपना बचाव कर सकते है।

  • लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की, सिरदर्द, कमजोरी, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना, उलटी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ, दस्त और कई बार निढाल या बेहोशी जैसे लक्षण नजर आते हैं। ध्यान रहे कि लू लगने पर पसीना नहीं आता है।
  • लू लगने पर आंखों में जलन भी होती है.
  • लू लगने के कारण अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत तक हो सकती है।
  • इसमें निम्न रक्तचाप और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए बेहोशी भी आ सकती है। इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है।
  • इस दौरान शरीर का तापमान एकदम से बढ़ जाता है। अक्सर बुखार बहुत ज्यादा मसलन 105 या 106 डिग्री फॉरनहाइट तक पहुंच जाता है।
  • हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है।

 सन स्ट्रोक से ऐसे करें बचाव

  • तरल पदार्थों के रूप में आप नींबू पानी, आम पना, छाछ, लस्सी, नारियल पानी, बेल या नींबू का शर्बत, खस का शर्बत जैसे तरल पदार्थों का उपयोग करते रहें।
  • ढीले और सूती कपड़े पहनना ज्यादा उचित होता है।
  • अचानक से गर्मी से एकदम ठंडे कमरे में ना जाएं।
  • जितना ज्यादा हो सके हरी सब्जियों का सेवन करें. खीरा, ककड़ी, लौकी, तौरी आदि का भरपूर सेवन करें।
  • जब भी बाहर गर्मी चरम पर हो तो कम से कम बाहर निकलकर लू से बचा जा सकता है, लेकिन यदि बाहर जाना आवश्यक हो तो अधिक से अधिक पानी पीकर निकलें। ध्यान रहे कि खाली पेट न निकलें।
  • पीड़ित व्यक्ति को सबसे पहले छांव में लाएं। फिर उसके लिए हवा का इंतजाम करें. गर्मी के कारण शरीर का तापमान हुई वृद्धि, छाया में लाने से तापमान सामान्य आना शुरु हो जाता है।
  • उस व्यक्ति को नमक शक्कर और पानी का घोल मुंह से पिलाएं, उसके कपड़े निकालकर सिर्फ अंदरूनी वस्त्र रखें। बेहतरी के लिए शरीर पर हल्का सा गर्म पानी भी छिड़क सकते हैं।
  • आप चाहें तो गीली चादर में लपेटकर भी तापमान को कम करने का प्रयास कर सकते हैं।
  • हाथ पैर की मालिश करें जिससे रक्त संचरण प्रभावित होता है।
  • संभव हो तो बर्फ के टुकड़े कपड़े में लपेटकर गर्दन, बगलों और जांघों पर रखे। इससे गर्मी जल्दी निकलती है।
  • धूप में घर से बाहर निकलें तो छतरी का इस्तेमाल करें। नंगे बदन और नंगे पैर धूप में ना खड़े हों।

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