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पीएम मोदी ने 'मन की बात' में कहीं डिप्रेशन के लोकर कुछ खास बातें

पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि अवसाद से पीड़ित लोग दूसरों से अपने अनुभव साझा करने के लिए आगे नहीं आते क्योंकि उन्हें ऐसा करने में शर्म महसूस होती है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा और उन्हें खुलकर बोलने और अपनी तकलीफ बांटने के लिए प्रोत्साहित करना ह

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हेल्थ डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को 'अवसाद' की समस्या से लड़ने के लिए समाज की मनोवृत्ति में बदलाव लाने और इस समस्या से पीड़ित लोगों को इसके बारे में बात करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा।

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 पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान कहा, "हम अवसाद के बारे में जानते हैं। हालांकि, अवसाद से पीड़ित लोग दूसरों से अपने अनुभव साझा करने के लिए आगे नहीं आते क्योंकि उन्हें ऐसा करने में शर्म महसूस होती है। हमें इस स्थिति को बदलना होगा और उन्हें खुलकर बोलने और अपनी तकलीफ बांटने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।"

उन्होंने कहा कि अवसाद लाइलाज बीमारी नहीं है और सही मनोवैज्ञानिक माहौल के जरिए पीड़ित को इस समस्या से बाहर निकाला जा सकता है।

मोदी ने कहा, "अवसाद को दबाना सही नहीं है। इसे अभिव्यक्त करना जरूरी है। अवसाद ग्रस्त महसूस करने की स्थिति में आपको अन्य लोगों के साथ अपनी भावनाएं साझा करनी चाहिए। इससे आप बेहतर महसूस करेंगे।"

ऐसे जानिए

  • हमारे देश का सौभाग्य रहा कि हम लोग संयुक्त परिवार में पले-बढ़े हैं, विशाल परिवार होता है, मेल-जोल रहता है और उसके कारण डिप्रेशन की संभावनाएं ख़त्म हो जाती हैं, लेकिन फिर भी मैं मां-बाप को कहना चाहूंगा कि आपने कभी देखा है कि आपका बेटा या बेटी या परिवार का कोई भी सदस्य -पहले जब आप खाना खाते थे, सब लोग साथ खाते थे, लेकिन एक परिवार का व्यक्ति - वो कहता है - नहीं, मैं बाद में खाऊंगा - वो टेबल पर नहीं आता है।
  • घर में सब लोग कहीं बाहर जा रहे हैं, तो कहता है-नहीं-नहीं, मुझे आज नहीं आना है-अकेला रहना पसंद करता है। आपका कभी ध्यान गया है कि ऐसा क्यों करता है? आप ज़रूर मानिए कि वो डिप्रेशन की दिशा का पहला क़दम है।
  • अगर वो आप से समूह में रहना पसंद नहीं करता है। अकेला एक कोने में चला जा रहा है, तो प्रयत्नपूर्वक देखिए कि ऐसा न होने दें। उसके साथ खुल कर के जो बात करते हैं, ऐसे लोगों के साथ उसको बीच में रहने का अवसर दीजिए।
  • हंसी-ख़ुशी की खुल कर के बातें करते-करते-करते उसको एक्सप्रेशन के लिए प्रेरित करें, उसके अन्दर कौन-सी कुंठा कहां पड़ी है, उसको बाहर निकालिए।
  • डिप्रेशन मानसिक और शारीरिक बीमारियों का कारण बन जाता है। जैसे डायबिटीज हर प्रकार की बीमारियों का यजमान बन जाता है।
  • वैसे डिप्रेशन भी टिकने की, लड़ने की, साहस करने की, निर्णय करने की, हमारी सारी क्षमताओं को ध्वस्त कर देता है।
  • अगर अपनों के बीच में आप खुल करके अपने एक्सप्रेशन नहीं कर पाते हों, तो एक काम कीजिए, अगल-बगल में कही सेवा-भाव से लोगों की मदद करने चले जाइए। मन लगा के मदद कीजिए, उनके सुख-दुःख को बांटिए, आप देखना, आपके भीतर का दर्द यूं ही मिटता चला जाएगा उनके दुखों को अगर आप समझने की कोशिश करोगे। सेवा-भाव से करोगे।
  • औरों से जुड़ने सेआपके अन्दर एक नया आत्मविश्वास पैदा होगा। किसी की सेवा करने से और निःस्वार्थ भाव से अगर सेवा करते हैं, तो आप अपने मन के बोझ को बहुत आसानी से हल्का कर सकते है।

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