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चैत्र नवरात्र के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें मंत्र, भोग और आरती

आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जायेगी। जानिए पूजा विधि, मंत्र और भोग।

चैत्र नवरात्र के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें मंत्र, भोग और आरती- India TV Hindi Image Source : INDIA TV चैत्र नवरात्र के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें मंत्र, भोग और आरती

चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और सोमवार का दिन है। सप्तमीतिथि आज रात 12 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। आज नवरात्र का सातवां दिन है । आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जायेगी।

मां कालरात्रि का स्वरुप
आपको बता दें कि जब माता पार्वती ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के लिए अपने स्वर्णिम वर्ण को त्याग दिया था, तब उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना गया | मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे का हाथ अभयमुद्रा में रहता है, जबकि बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड़ग है। मां का ये स्वरूप देखने में भले ही भयानक लगता है, किन्तु ये बड़ा ही शुभ फलदायक है।

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आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार मां कालरात्रि का स्मरण मात्र से ही भूत-पिशाच, भय आदि परेशानियां  तुरंत दूर भाग जाती है। अगर आपको भी कोई डर है, या कोई शत्रु आपके पीछे पड़ा हुआ है या आपके घर की सुख-शांति कहीं खो गई है, तो आज मां कालरात्रि का ध्यान करके  इस मंत्र का जप  कम से कम 108 बार यानि एक माला करना चाहिए। मंत्र है-

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।

जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥

आज के दिन इस मंत्र का जप करने से आपको किसी भी प्रकार के भय का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही इससे आपको शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा और आपके घर की सुख-शांति बनी रहेगी। ग्रहों में शनि ग्रह पर देवी मां का आधिपत्य बताया जाता है। लिहाजा आज मां कालरात्रि की पूजा करने से शनि संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलेगा।

मां कालरात्रि पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा सुबह चार से 6 बजे तक करनी चाहिए। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातको को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हो तो सात या नौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव, इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

 इस मंत्र का करें जाप
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि को भोग
सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं। ऐसा करने दरिद्रता का नाश होता है।

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