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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र 60 साल बाद होली पर ऐसा दुर्लभ योग, ऐस करें पूजा

60 साल बाद होली पर ऐसा दुर्लभ योग, ऐस करें पूजा

ज्योतिष के अनुसार अनुसार 22 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा होने से इस दिन होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा इसलिए 23 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 24 मार्च को होली खेली जाएगी वहीं जो लोग 22 मार्च की रात 4 बजे के बाद भद्रा समाप्त होने पर होलिका दहन

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धर्म डेस्क: इस बार होली को लेकर कई भ्रम है। जिसके कारण पंडित ग्रह-नक्षत्रों के कारण दो योग बता रहे है। इस बार होलिका दहन 22 मार्च को होगा या फिर 23 मार्च को होगा।

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ज्योतिष के अनुसार अनुसार 22 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा होने से इस दिन होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा इसलिए 23 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 24 मार्च को होली खेली जाएगी वहीं जो लोग 22 मार्च की रात 4 बजे के बाद भद्रा समाप्त होने पर होलिका दहन करेंगे वे 23 मार्च को होली खेलेंगे। जो कि फाल्गुन मास क पूर्णिमा को होगा।

ज्योतिषचार्यों के अनुसार 22 मार्च की शाम 4 बजकर 18 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग रही है जो 23 मार्च की शाम 7 बजकर 6 मिनट तक ही रहेगी और इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। चूंकि 22 मार्च को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट से रात 4 बजकर 26 मिनट तक भद्रा है और भद्रा में होलिका दहन नहीं किया जाता इस कारण 23 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन भी पूर्णिमा तिथि शाम 7 बजे तक ही है, इसलिए 7 बजे के पहले ही होलिका दहन करना उचित होगा। जो के शास्त्र क अनुसार ठीक है।

इस बार 2 दिन है पूर्णिमा
इस बार फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की तारीफ को होलिका दहन का सबसे अच्छा मुहूर्त है। लेकिन इस बार पूर्णिमा दो दिन यानी 22 और 23 मार्च को है। साथ ही भद्रा काल बी लग रहा है। जिसमें होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए 23 मार्च को होलिका दहन शाम के समय किया जाएगा।

ऐसें करें पूजा
होलिका दहन के सामने पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद एक लोटा जल, माला, मौली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, गुड, साबूत हल्दी, मूंग बतासा, गुलाल और नारियल ले लें। नई फसल से रके गेहूं, चना की बालिया रखें। इसके बाद अपने हाथों में जल, अक्षत और फूल लेकर अपना नाम, पिका का नाम, गोत्र का नाम, आदि का नाम लेकर संकल्प लें और इसें अर्पित कर दें।  इसके बाद नई फसल का कुछ भाग लेकर अर्पित करें। इसके बाद होलिका दहन की परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत बाधें और मन में भगवान को स्मरण कर रहें।

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