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Diwali Puja 2020: जानिए दीवाली पर लक्ष्‍मी पूजा का मुहूर्त, प्रदोष काल, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया और पूजा विधि

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और श्री गणेश के साथ ही कुबेर जी की भी पूजा की जाती है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।

Diwali Puja 2020, diwali laxmi puja 2020 date, diwali muhurat 2020, dussehra 2020 in delhi, dhantera- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/SAURAVSINGH04 Diwali Puja 2020: जानिए दीवाली पर लक्ष्‍मी पूजा का मुहूर्त, प्रदोष काल, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया और पूजा विधि

Diwali Puja 2020: जानिए दीवाली पर लक्ष्‍मी पूजा का मुहूर्त, प्रदोष काल, लाभ, अमृत और शुभ चौघड़िया और पूजा विधि: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली का ये त्योहार खुशियों का त्योहार है। शास्त्रों में दिलावील के दिन किये जाने वाले बहुत से महत्वपूर्ण कार्यों का जिक्र किया गया है, जो हमारी खुशहाली, सुख-सौभाग्य और हमारी आर्थिक तरक्की से जुड़े हुए हैं। आपको बता दें कि राज मार्तण्ड और कालविवेक में दीवाली की रात को ‘सुखरात्रि’ की संज्ञा दी गई। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि के साथ लक्ष्मी यंत्र और कुबेर यंत्र की कैसे करें पूजा।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी और दिन शनिवार है | चतुर्दशी तिथि आज दोपहर 2 बजकर 18 मिनट तक रहेगी | उसके बाद अमावस्या शरू हो जाएगी | कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। आज दोपहर 2 बजकर 18 मिनट के बाद से अमावस्या शुरु हो  जाएगी और कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। आज पूरा दिन पार कर देर रात 3 बजकर 15 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा | इसके अलावा आज स्वाती नक्षत्र रात 8 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। 

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दिवाली तिथि और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 

व्यापारियों के लिए और व्यावसायिक संस्थाओं के लिए खाता बसना पूजन प्रदोष काल में तीन गुना होने से बलशाली हो रहा है.। इस साल विशेष बात यह है कि महानिशिथकाल, सिंह लग्न और चर चौघड़िया मिलने से अर्धरात्रि वाला मुहूर्त भी तीन गुना बलशाली है। सिंह लग्न में पूजा करने वाले लोगों को ध्यान रखना पड़ेगा कि छठे शनि और आठवें मंगल दान और उपाय करके इस समय पूजा की जा सकती है। इस महानिशिथ काल में रात 11:42 से 1:21 तक चर की चौघड़िया जुड़ जाने से यह काल अत्यंत बलशाली हो जाएगा। रात में 11:42 से 12:08 तक तीनों का बल रहेगा।  

दिवाली तिथि- 14 नवंबर 2020

अभिजीत मुहूर्त: 11:50 से 12:25 तक 
प्रदोष काल-  शाम 5:06 से शाम 7:22 मिनट तक 
वृषभ लग्न- शाम 5:12 मिनट से शाम 7:05 मिनट तक 
लाभ की चौघड़िया -शाम 5:06 मिनट से शाम 6:45 मिनट तक
महानिशिथ काल-  आज रात 11:16 से 12:08 तक
सिंह लग्न- रात 11:40 से शुरू होकर 1:54 तक
सर्वथा शुद्ध मुहूर्त- शाम को 5:12 मिनट से 6:40 मिनट तक
शुभ अमृत और चर चौघडिया- 8:24 मिनट से रात 1:21 मिनट तक

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ऐसे करें लक्ष्मी पूजन 

लक्ष्मी पूजा के लिये उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके वहां पर लकड़ी का पाटा बिछाएँ। कुछ लोग उस जगह की दिवार को सफेद या हल्के पीले रंग से रंगते हैं। इसके लिये खड़िया या सफेद मिट्टी  का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पूजा स्थल की ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है। 

लकड़ी का पाटा बिछाने के बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुबेर जी की स्थापना करें। ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी की मूर्ति को श्री गणेश के दाहिने हाथ की तरफ स्थापित करना चाहिए। इस प्रकार मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं। साथ ही पूजा के लिये कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें। इस प्रकार मूर्ति स्थापना के बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाएं। साथ ही पूजा के लिये कलश या लोटा उत्तर दिशा की तरफ रखें और दीपक को आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व की तरफ रखें। लक्ष्मी पूजा में फल-फूल और मिठाई के साथ ही पान, सुपारी, लौंग इलायची और कमलगट्टे का भी बहुत महत्व है। इसके अलावा धनतेरस के दिन आपने जो भी सामान खरीदा हो, उसे भी लक्ष्मी पूजा के समय पूजा स्थल पर जरूर रखें और उसकी पूजा करें।

माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के तमाम तरीके हैं। वेदों और महापुराणों में कई मंत्र उल्लेखित हैं लेकिन दीपावली में माता लक्ष्मी का आगमन अपने घर में या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में कराना होता है। इसका उल्लेख श्री सूक्त के ऋग्वैदिक श्री सूक्तम के प्रथम ही श्लोक में है।

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ॐ हिरण्यवर्णान हरिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो म आ वहः।।

भोग पूजा करने के बाद आरती करें। इसके बाद मां का प्रसाद ग्रहण करके दिए भी जलाएं।

ऐसे करें कुबेर यंत्र की पूजा

दिवाली पूजा के समय लकड़ी के पाटे पर कुबेर यंत्र भी रखिये और उसकी विधि-पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करके पूजा कीजिये। साथ ही मंत्रमहार्णव में दिये कुबेर जी के 16 अक्षरों के मंत्र का 51 हजार बार जप कीजिये और अपने घर में स्थापित कीजिये। । मंत्र है – ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः

ऐसे करें लक्ष्मी यंत्र की पूजा

धनतेरस पर खरीदे गये लक्ष्मी यंत्र को आज शाम को दिवाली पूजा के समय मां लक्ष्मी के सामने रखिये। यदि धनतेरस को  यंत्र न ले पाये हों, तो आज भी ले सकते हैं। यंत्र की लक्ष्मी पूजा के साथ ही  विधिवत धूप-दीप आदि से पूजा करें और यंत्र को सिद्ध करने के लिये लक्ष्मी जी के  मंत्र का जप करें। मंत्र है –"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" लेकिन अगर आपको इस मंत्र का जप करने में कठिनाई महसूस हो, तो केवल “श्रीं ह्रीं श्रीं’ मंत्र का जप कीजिये। क्यूंकि देवी मां का एकाक्षरी मंत्र तो ‘श्रीं’ ही है।... लक्ष्मी के  मंत्र जप के लिये स्फटिक या कमलगट्टे की माला को  उत्तम बताया गया है, लेकिन अगर ये दोनों न हो, तो रुद्राक्ष की माला पर भी जप कर सकते हैं।  इस प्रकार सिद्ध किये गये लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करने से आपकी  तिजोरियां हमेशा भरी रहेंगी ।

सोने-चांदी के सिक्के से आएगी बरकत

 अगर आप अपने बिजनेस और अपने घर में स्थायी रूप से धन की वृद्धि करना चाहते हैं तो आज शाम को लक्ष्मी पूजा के समय एक कटोरी लेकर उसे चावल से आधा भर लीजिये। अब धनतेरस के दिन आपने जो सिक्का खरीदा था, उसे इन चावलों पर रखिये और कटोरी को ढंक दीजिये। अब लक्ष्मी जी के आगे जलाये हुए घी के दियों में से एक दीपक लेकर उस कटोरी के ऊपर रखे बर्तन पर रख दीजिये और उसे किसी चीज़ से ढंक दीजिये।... जला हुआ दीपक कुछ समय बाद अपने आप बुझ जायेगा।अब इस कटोरी को ऐसे ही रहने दीजिये। इ स कटोरी को अब सीधे भइयादूज के दिन खोलना है। भइयादूज के दिन उस कटोरी को खोलकर, उसमें से सिक्का निकालकर, अपनी तिजोरी में रख लें और उन चावलों को भी एक लाल रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से सालभर आपके घर और बिजनेस में धन की वृद्धि होगी।

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