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जुलाई माह के व्रत-त्योहार: इस माह सावन, देवशयनी एकादशी, जगन्नाथ यात्रा सहित पड़ रहे है ये पर्व

हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई 2021 में कई प्रमुख व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। जुलाई महीने की शुरुआत योगिनी एकादशी, श्री जगन्नाथ रथयात्रा जैसे व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं।

जुलाई माह के व्रत-त्योहार: इस माह सावन, देवशयनी एकादशी, जगन्नाथ यात्रा सहित पड़ रहे है ये पर्व- India TV Hindi Image Source : INDIA TV जुलाई माह के व्रत-त्योहार: इस माह सावन, देवशयनी एकादशी, जगन्नाथ यात्रा सहित पड़ रहे है ये पर्व

हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई 2021 में कई बड़े व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। माह की शुरुआत में ही योगिनी एकादशी से हो रही हैं। इसके साथ ही भगवान शिव का सबसे पावन माह श्रावण माह भी भी है। जो 26 जुलाई से शुरू हो रहा है। धार्मिक दृष्टि से इस माह का काफी अधिक महत्व है। इस माह से ही चतुर्मास की शुरुआत हो जाएगी।  इसके अलावा वर्षा ऋतु का आगमन भी इसी महीने से हो रहा है. आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवशयनी एकादशी से 4 माह के लिए श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। जिसके साथ ही शुभ कार्यों की मनाही होती है। जानिए जुलाई माह में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहारों के बारे में। 

जुलाई 2021 व्रत-त्योहारों की लिस्ट

5 जुलाई - योगिनी एकादशी
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत किया जायेगा। कहते हैं योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है और साथ ही पापकर्मों से भी छुटकारा मिलता है। योगिनी एकादशी का यह व्रत 5 जुलाई को किया जायेगा।

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7 जुलाई - प्रदोष व्रत
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानि कि 7 जुलाई को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत किया जायेगा। प्रदोष का व्रत करने से परमपिता परमेश्वर, भगवान शिव की कृपा बनी रहती है   साथ ही 7 जुलाई की दोपहर पहले 11 बजकर  5 मिनट पर बुध मिथुन राशि में गोचर करेंगे।

8 जुलाई मासिक शिवरात्रि
आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि का व्रत किया जायेगा उसके बाद आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या दो दिनों की पड़ रही है लेकिन स्नान-दान की अमावस्या 10 जुलाई को मनायी जायेगी।

11 जुलाई- गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है और नवमी तक चतली है। इस बार गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलेग।

12 जुलाई - जगन्नाथ यात्रा
उड़िसा की पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जायेगी। हर साल भगवान जगन्नाथ के मंदिर में जून-जुलाई के महीने में विशाल रथयात्रा का आयेजन किया जाता हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पुरी से शुरू होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे देशभर के महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है। 

13 जुलाई -गणेश चतुर्थी
वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी किया जायेगा। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा अर्चना करके व्रत रखना शुभ माना जाता है।

17 जुलाई -दुर्गाष्टमी व्रत
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानि 17 जुलाई को दुर्गाष्टमी का व्रत किया जायेगा। साथ ही इसी दिन परशुराम अष्टमी भी मनायी जायेगी। इसके आलावा इस दिन सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर शुक्राचार्य सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।

20 जुलाई- हरिश्यनी एकादशी व्रत
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जो 20 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन हरिश्यनी एकादशी या देवशयनी एकादशी का व्रत किया जायेगा और इसके अगले दिन यानि कि 21 जुलाई को प्रदोष व्रत किया जायेगा 

24 जुलाई- पूर्णिमा
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानि 24 जुलाई को स्नान-दान की पूर्णिमा मनायी जायेग।बता दें कि यह पूर्णिमा दो दिनों की है। लिहाजा 23 जुलाई को व्रतादि की पूर्णिमा और 24 जुलाई को स्नान-दान की पूर्णिमा होगी।

26 जुलाई -   जयापार्वती व्रत समाप्त, प्रथम श्रावण सोमवार
श्रावण माह के साथ ही सावन का माह शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण माह शुरू होते ही यानी 25 जुलाई से 22 अगस्त तक सावन का माह पड़ेगा। जिसके साथ ही इस साल कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं। 

27 जुलाई-  संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस बार संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है- हर तरह के संकटों से छुटकारा दिलाने है वाली चतुर्थी तिथि । अतः अगर आपके जीवन में किसी प्रकार का संकट चल रहा है, कोई परेशानी चल रही है या आपका कोई काम बहुत दिनों से अटका हुआ हो, तो इन सब समस्याओं से छुटकारा पाने के लिये आज का दिन बड़ा ही अच्छा है। 

31 जुलाई-   कालाष्टमी
प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी भी मनायी जाती है | कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है । दरअसल भैरव के तीन रूप हैं- काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव । आज के दिन इनमें से काल भैरव की उपासना की जाती है । इस दिन सुबह उठकर किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण भी किया जाता है | जो लोग किसी नदी या तालाब में स्नान के लिये नहीं जा सकते, वो घर पर ही अपने स्नान के पानी में पवित्र नदियों का आह्वाहन करके स्नान कर लें। 

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