A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र हिंदू धर्म में किसी के मरने और जन्म लेने के बाद क्यों मनाया जाता है सूतक

हिंदू धर्म में किसी के मरने और जन्म लेने के बाद क्यों मनाया जाता है सूतक

मारे समाज में इससे जुड़े कई परंपराए है जैसे कि कोई शुभ काम न करना यानी कि अगर आपको कोई व्यापार करना है तो उसे इस समय में नहीं कर सकते है। इसे आप अंधविश्वास भी कह सकते है। लेकिन आप जानते है कि इसके पीछें वैज्ञानिक कारण भी है। आखिर क्यों यह सूतक मनाते

life cycle- India TV Hindi life cycle

धर्म डेस्क: हर इंसान के जीवन में खुशी और गम आता जाता रहता है। इस दुनिया में किसी कोने में कोई खुश होता है तो वही दूसरें कोने में गमगीन। अगर हमें कोई खुशी मिलती है तो हमें लगता है कि यह पल कभी न जाए और गम हो तो सोचते है कि यह पल जल्दी से निकल जाए। गम में तो एक-एक दिन भी काटना बहुत कठिन हो जाता है। हमारे जीवन में ऐसे कई पड़ाव आते है। कोई छोटा पड़ाव होता है तो कोई गम का तो कोई खुशी का।

ये भी पढ़े- इन पांच लोगों को खिलाएं खाना, रहेगी स्थिर लक्ष्मी

जिंदगी के इन्ही पड़ावों में दो पड़ाव आते है वो है जन्म और मृत्यु। हमारा जीवन जन्म के साथ शुरु होता और मृत्यु से खत्म हो जाता है। बस फर्क इतना होता है कि जन्म में खुशी वहीं मृत्यु में गम होता है।

हिंदू धर्म में जन्म और मृत्यु बहुत अधिक महत्व रखते है। हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जहां पर हजारों रीति-रिवाज और परंपराएं है। जिसके कारण इस धर्म की अपनी एक पहचान है। इस परंपरा में एक है सूतक की परंपरा यानी कि किसी बच्चें के जन्म लेने और किसी व्यक्ति के मरने के बाद के वो दिन जब कोई भी शुभ काम नहीं होता है।

हमारे समाज में इससे जुड़े कई परंपराए है जैसे कि कोई शुभ काम न करना यानी कि अगर आपको कोई व्यापार करना है तो उसे इस समय  में नहीं कर सकते है। इसे आप अंधविश्वास भी कह सकते है। लेकिन आप जानते है कि इसके पीछें वैज्ञानिक कारण भी है। जानिए आखिर क्यों यह सूतक मनाया जाता है।

अगली स्लाइड में पढ़े जन्म और मृत्यु के सूतक के बारें में

Latest Lifestyle News