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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र #JeetegaIndia-हारेगा कोरोना: कोरोनाकाल में मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए साध्वी ऋतंभरा, मुरारी बापू ने दिया मूल मंत्र

#JeetegaIndia-हारेगा कोरोना: कोरोनाकाल में मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए साध्वी ऋतंभरा, मुरारी बापू ने दिया मूल मंत्र

कोरोनाकाल में हर तरफ नकारात्मकता है। ऐसे में मानसिक तनाव का बढ़ना आम बात है। इंडिया टीवी के कॉन्क्लेव में कई बड़े आध्यात्मिक गुरुओं ने मानसिक शक्ति बढ़ाने को लेकर बातचीत की।

spiritual guru- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM/GUJJU_PROMISE आध्यात्मिक गुरु

साध्वी ऋतंभरा ने बहुत सुंदर बातें कि जो लोगों को जरूर सुनने चाहिए। उनकी ये बातें इस मुश्किल वक्त में हौसला देने के लिए किसी दवाई से कम नहीं है। साध्वी ने कहा कि सामर्थय पर भरोसा रखना जरूरी होता है। साथ ही हमें अपने मन को काबू में रखना चाहिए क्योंकि ये तप है। जो मन को जीतना जानता है उसे इंद्रजीत कहते हैं। उसके लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होता है। इसके अलावा साध्वी ने रामधारी सिंह दिनकर की सुंदर और हौसला बढ़ाने वाली कविता कांटों में राह बनाते हैं के माध्यम से लोगों का हौसला बढ़ाया।  

कोरोना की मौजूदा स्थिति में आध्यात्मिक गुरु रमेश भाई ओझा ने खुद के ऊपर विश्वास करने की बात को सबसे अहम माना है। उनका मानना है कि विश्वास अपने में हो, विश्वास अपनों में हो और विश्वास ईश्वर में हो... आज की स्थिति में यह सबसे ज्यादा जरूरी है। साथ ही उन्होंने कई अहम सवालों के जवाब दिए। 

सवाल: मुश्किल वक्त में आत्मबल कैसे लाएं? 
जवाब: कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं जिन्हें आने से रोका नहीं जा  सकता है। वहीं कुछ ऐसी होती हैं जिनके नुकसान से हम अपना बचाव कर सकते हैं। इस तरह से कोरोना एक ऐसी बीमारी है जिससे हम अपना बचाव कर सकते हैं कोरोना एपरोप्रिऐट बिहेवियर को अपनाकर। कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। ऐसा करने पर हम आधी लड़ाई हार जाते हैं। विश्वास अपने हों, अपनों में हो औऱ ईश्वर में हो तो सबका बचाव कर सकते हैं। 

सवाल: कुछ लोगों ने कठिन परिस्थिति में भी दवाईयों की कालाबाजारी की ऐसे लोगों को लेकर आप क्या कहेंगे? 
जवाब: इस तरह की परिस्थिति में एक ऐसे प्रकार का मनुष्य होता है जिसके अंदर देवत्व की भावना प्रकट हो जाती है। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जिनके अंदर ऐसी भावना प्रकट हो जाती है कि परिस्थिति जाहें जैसी हो लेकिन उन्हें पैसे कमाने हैं। ऐसे लोग किसी की मदद नहीं करते और जिनता हो सके कुछ न कुछ पाने की चाह रखते हैं। 

जिसका आरंभ होता है उसका अंत भी होता है: मुरारी बापू  

मुरारी बापू ने कहा , ''जिस ग्रंथ को मैं केंद्र में रखकर मैं अपनी बातें करता हूं। आज की जो भौतिक सुविधाएं हैं जो दवाइयां हैं, जो वैक्सीन देनी है उसे साथ-साथ बहुत ही गंभीरता से निभाए और उसके साथ-साथ हरि नाम ले, जो भी इंसान जिस किसी को भी अपना ईश्वर मानता है उसका नाम लेना आवश्यक है।''

उन्होंने कहा, ''मुझे मुझे लगता है आध्यात्म से इससे आंतरिक ऊर्जा बढ़ेगी, दवाइयां तो काम करेगी ही, लेकिन आध्यात्मिक ऊर्जा भी बहुत बड़ा फायदा देगी। जिस का आरंभ होता है उसका अंत भी होता है या शुरू हुआ है तो उसका कभी न कभी अंत भी होगा।'

अगर श्री राम होते तो क्या कहते लोगों को ? इस सवाल पर बापू ने कहा कि आज की जो सुविधाएं हैं उनका सदुपयोग करें और जिसपर आपका विश्वास है उनका नाम लें। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में एक अध्य्या है आगे राम, आगे चले। इससे ये सीखा जा सकता है कि परिस्थिति चाहें जैसी भी हो हमें आगे बढ़ना ही पड़ता है।  

अंत में उन्होंने एक कहानी के माध्यम से लोगों को सीख दी। साथ ही ये भी कहा कि मुझे लगता है कि हमसब सत्य भाव के साथ इसका मुकाबला करें तो जरूर जीत मिलेगी। 

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