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बरसाना में मनाई गई लड्डू होली, जानिए क्या है इसकी कहानी

लठ्ठमार होली का आमंत्रण स्‍वीकार होने का संदेश आया तो वृषभानु भवन (श्रीजी मंदिर) में लड्डू बरसने शुरू हो गए। लड्डू के साथ-साथ बिस्किट और टॉपी भी बहुत सारी लुटाई गई। जानइे इसे बनाने के पीछे का कारण...

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मथुरा: ब्रज की होली उल्लास में हर श्रद्धालु कन्हैया के लिए झूम रहा है। आज फिर बरसाना की 5000 साल पुरानी कृष्ण लीला साकार हो गई है। आज सुबह से ही बरसाना में राधारानी की सखियां अपने सिर पर गुलाल की हांडी, पान, बीड़ा, लड्डू लेकर नंदभवन गई थी। वहां से लठ्ठमार होली का आमंत्रण स्‍वीकार होने का संदेश आया तो वृषभानु भवन (श्रीजी मंदिर) में लड्डू बरसने शुरू हो गए। लड्डू के साथ-साथ बिस्किट और टॉपी भी बहुत सारी लुटाई गई। इसके साथ ही गुलाल और टेसू के फूल से बना रंग लोगों के ऊपर पड़ने लगा। जिससे हर चीज रंग से सराबोर हो गई। इस दौरान लोग झांझ, मृदंग और ढोलक के साथ समाज गायन में जुटे रहे। वे गा रहे थे, ‘नंदगाव की पौड़ौ ब्रज बरसाने आयो, होरी कौ पकवान भर भर खायो..’!  

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लड्डू होली खलने के पीछे कारण
बरसाना के संत ने बताया कि  द्वापर युग में बरसाना से राधा अपनी सखियों के साथ नंदगांव में कृष्‍ण व उनके सखाओं को आमंत्रण देने गईं थी। जो कि स्‍वीकार हो गया। इसी खुशी में बरसाना के वृषभान भवन (अब श्रीजी मंदिर) में खुशियां बनाई गई थी और लड्डू बांटे गए थे।

अब श्रद्धालुओं को मिठाई के रूप में लड्डू देने की परंपरा है।  सैंकड़ों लोगों को लड्डू फेंक कर दिए जाते हैं। कृष्‍ण भक्‍त इन्‍हें लपकते हैं। इस रस्‍म को ही लड्डू होली कहा जाता है।

सोमवार को बरसाना की रंगीन गलियों में लठामार होली खेली जाएगी। जहां हुरियारिन उनका लठ्ठों से स्वागत करेंगी।

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