A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र मिर्जापुर के विंध्यवासिनी मंदिर में प्रियंका गांधी ने की पूजा-अर्चना, भगवान कृष्ण से है मां का खास रिश्ता

मिर्जापुर के विंध्यवासिनी मंदिर में प्रियंका गांधी ने की पूजा-अर्चना, भगवान कृष्ण से है मां का खास रिश्ता

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मंगलवार को मिर्जापुर के विंध्यवासिनी मंदिर पहुंची। मां विंध्यवासिनी के मंदिर में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूजा-अर्चना की और वहां मौजूद विजिटर बुक में अपने हाथों से एक संदेश लिखा। जानें इस मंदिर के बारें में कुछ रोचच बातें।

 vindhyavasini devi temple- India TV Hindi  vindhyavasini devi temple

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मंगलवार को मिर्जापुर के विंध्यवासिनी मंदिर पहुंची। मां विंध्यवासिनी के मंदिर में प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूजा-अर्चना की और वहां मौजूद विजिटर बुक में अपने हाथों से एक संदेश लिखा। संदेश के नीचे उन्होंने 'जय माता दी' भी लिखा। उन्होंने लिखा कि ‘आज यहां आकर, अपने पूर्वजों के पंडों से मिलकर और सबकी श्रद्धा का एहसास होते हुए मुझे बहुत खुशी हुई।’ अपने इस संदेश के नीचे प्रियंका गांधी ने 'जय माता दी' लिखा। विंध्यवासिनी मंदिर अपनी अलौकिक पौराणिक कथाओं के कारण हर जगह फेमस है। मां विंध्यवासिनी दुर्गा का ही एक रुप है। जिन्होंने महिषासुर नाम राक्षस का वध किया था। इसके अलावा मां सती का काजल इस स्थान में गिरा था। जिसके कारण इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है। जानें मां विंध्यवासिनी के बारें में रोचक बातें।

ऐसे हुई माँ विंध्यवासिनी की उत्पत्ति
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार एक बार देवी दुर्गा ने सभी देवी देवताओं को बताया था कि वे नन्द और यशोदा के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी ताकि वे सभी असुरों का नाश कर सकें। अपने कहे अनुसार माता ने ठीक उसी दिन जन्म लिया जिस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। चूंकि इस बात की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी कि देवकी और वासुदेव की आठवी संतान कंस की मृत्यु का कारण बनेगी इसलिए अपने प्राण बचाने के लिए कंस ने एक एक कर अपनी बहन की सभी संतानों को मौत के घाट उतार दिया था। किन्तु देवकी और वासुदेव की आठवी संतान के रूप में स्वयं विष्णु जी ने श्री कृष्ण बनकर धरती पर जन्म लिया था इसलिए भगवान की माया से वासुदेव ने अपने पुत्र के प्राणों की रक्षा करने के लिए उसे नन्द और यशोदा की पुत्री के स्थान पर रख दिया और उनकी पुत्री जो देवी का ही रूप थी, उन्हें लेकर वापस कारागार में लौट आए।

 vindhyavasini devi temple

कंस ने देवकी की आंठवी संतान समझ किया था हत्या का प्रयास
कहते हैं जब कंस को इस बात का पता चला कि उसकी बहन ने एक और संतान को जन्म दिया है तो वह फ़ौरन उसकी हत्या करने के लिए पहुँच गया। लेकिन जब उसने देखा कि देवकी ने पुत्र को नहीं बल्कि पुत्री को जन्म दिया है तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि भविष्यवाणी के अनुसार देवकी और वासुदेव का आठवा पुत्र उसकी हत्या करेगा। फिर भी अपनी मौत से भयभीत कंस ने उस कन्या को ही मारने का निर्णय लिया किन्तु जैसे ही उसने प्रहार किया, देवी दुर्गा अपने असली रूप में आ गयीं। साथ ही कंस को इस बात की चेतावनी भी दी कि उसकी हत्या करने वाला गोकुल में सुरक्षित है। इतना कहते ही माता अंतर्ध्यान हो गयी। कहते हैं तब से देवी विंध्य पर्वत पर ही निवास करती है।

महिषासुर मर्दिनी नाम से है प्रसिद्ध
विंध्य पर्वत पर ही माता को समर्पित विन्ध्यवासिनी मंदिर स्थित है। माता को देवी काली के रूप में भी पूजा जाता है। चूंकि माता ने महिषासुर का वध किया था इसलिए इन्हें महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है। अपने इस रूप में या तो माता असुर का गला काटते दिखाई देंगी या फिर उसका धड़ अपने हाथ में लिए।

महिषासुर मर्दिनी का अर्थ ही है जिसने महिषासुर का अंत किया है। माना जाता है कि अग्नि में भस्म होने के पश्चात् जहां जहां देवी सती के अंग गिरे थे वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। इस स्थान को भी शक्तिपीठ कहा जाता है और यहां माता काजल देवी के नाम से भी जानी जाती है। विभिन्न स्थानों पर होती है माँ विंध्यवासिनी की पूजा इस पवित्र अवसर पर भारत के कई हिस्सों में माँ विंध्यवासिनी की उपासना की जाती है। भक्त सच्चे मन से माता की पूजा करके उनका आशीर्वाद पाते हैं। साथ ही माता उनके समस्त कष्ट हर लेती है और उनका जीवन सुखमय बन जाता है। क्योंकि यह पूजा देवी काली के ही एक रूप को समर्पित है इसलिए इस पूजा को पंडितों की देख रेख में और उनकी सलाह अनुसार करना ही उचित माना जाता है।

Holika Dahan 2019: इस शुभ मुहूर्त में करें होलिका दहन, साथ ही जानें पूजा विधि और पौराणिक कथा

20 मार्च राशिफल: आज होलिका दहन के साथ बन रहे है 2 शुभ योग, इन राशियों को मिलेगा विशेष लाभ

Holika Dahan 2019: होलिका दहन के समय करें ये खास उपाय, मिलेगी सुख-समृद्धि

Latest Lifestyle News