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आज ऐसे करें पूजा मां शीतला की पूजा, होगी संतान प्राप्ति की कामना पूरी

आज के दिन पर्युषितान्न ग्रहण करना चाहिए यानि की बासी भोजन ग्रहण करना चाहिए। कृष्णपक्ष की अष्टमी होने से आज कालाष्टमी भी है और बुधवार के संयोग से आज के दिन ही बुधाष्टमी भी है। आज ऐसे करें पूजा।

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धर्म डेस्क: आज के दिन पर्युषितान्न ग्रहण करना चाहिए यानि की बासी भोजन ग्रहण करना चाहिए। कृष्णपक्ष की अष्टमी होने से आज कालाष्टमी भी है। इस दिन महिलाएं मां शीतला का व्रत, पूजा-पाठ करती है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन शीतला अष्टमी का व्रत पड़ता है। जो कि  इस बार शीतला अष्टमी शुक्रवार, 19 मई को है। (सुबह जगते ही दिखें ये चीजें, तो समझों आप होने वाले है लखपति)

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन जो महिला व्रत रखती है। उसके घर में कभी भी कोई दुख नहीं आता है। इसके साथ ही इस दिन व्रत करने से सुख-समृद्धि और संतान को किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं होती है। (सुबह बेड से जमीन में पैर रखने से पहले करें ये काम, होगा शुभ)

इस दिन मां शीतला को गर्म और ताजा खाना का भोग न लगाकर ठंडा और बासी खाना का भोग लगाते है। यह व्रत एक दिन पहले यानी कि सप्तमी के दिन यानी की 18 मई की रात से शुरु हो जाएगी।   

इसलिए ये व्रत है खास
शीतला अष्टमी को लेकर मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से घर-परिवार में चेचक रोग, दाह, पित्त ज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, आंखों की सभी बीमारियां आदि शीतलाजनित समस्याएं दूर हो जाती हैं। लिहाजा लोग इनसे मुक्ति पाने और भविष्य में ऐसे रोगों से अपने परिवार के लोगों को बचाने पूजा-पाठ करेंगे।

ऐसे करें व्रत- पूजा
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद माता शीतला के मंत्र (श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमनपूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश्) से व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि-विधान और सुगंध युक्त फूल आदि से माता शीतला का पूजन करना चाहिए। फिर एक दिन पहले बनाए हुए बासी भोजन, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी आदि का भोग लगाएं। वहीं चतुर्मासी व्रत कर रहे हों तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएं। इसके बाद शीतला स्रोत का पाठ करना चाहिए। यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें। रात में जगराता व दीपमालाएं प्रज्जवलित करने का भी विधान है।

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