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पूजा के वक्त कलावा बांधते वक्त ध्यान रखें ये बातें, वरना होंगे अशुभ परिणाम

घर में पूजा पाठ और शुभ अवसर पर हाथ में बांधा गया कलावा संकटों से रक्षा करता है और इसके कुछ नियम हैं जो जानने जरूरी हैं।

kalawa- India TV Hindi Image Source : TWITTER/ACHARYAASTRONIGAMFAL kalawa

रक्षा सूत्र यानी कलावा हमारे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। घर में हर शुभ अवसर और पूजा पाठ के दौरान कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधा जाता है। लाल और पीले रंग इस इस पवित्र कलावे को लेकर हमारे शास्त्रों में कई तरह की मान्यताओं और लोकोक्तियों के जरिए इसकी महत्ता बताई गई है।

शास्त्रों में कहा गया है कि कि पूजा के दौरान हाथ पर कलावा बांधने से जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से रक्षा होती है। कहा जाता है कि हाथ में कलावा बांधने से त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है। आपको बता दें कि कलावा बांधने से संबंधित व्यक्ति को तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है। 

नए जमाने में पूजा पाठ के इतर लोग फैशन के लिए भी हाथ में कई सारे कलावे बांध लेते हैं लेकिन यह बहुत ही गलत चीज है। कलावे को बांधने के कई तरीके हैं, इनका पालन करना चाहिए। इतना ही नहीं कलावा किस हाथ में बांधना है, कितनी बार लपेटना है और किस दिन इसे खोला जा सकता है, इसे लेकर कई तरह के नियम हैं।

चलिए जानते हैं, कलावे को लेकर नियम ताकि आप रक्षा सूत्र को लेकर दूसरों के भ्रम भी साफ कर सकें। 

कलावा किस दिन बदलना सही
कलावा दरअसल रक्षासूत्र है, ये जातक की रक्षा के लिए बांधा जाता है। इसलिए इसे किसी भी दिन बदलना नहीं चाहिए। कलावे यानी रक्षासूत्र को मंगलवार और शनिवार के दिन बदलना या तोड़ देना चाहिए। इसके साथ ही इसके स्थान पर पूजा स्थल पर ही नया कलावा बंधवा लेना चाहिए

कलावा किस हाथ में बांधना सही
हिंदू धर्म में कहा गया है कि पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दाहिने हाथ में विवाहित महिलाओं को अपने बाएं हाथ पर कलावा बांधना चाहिए। 

कितनी बार लपेटें कलावा
कलावा बांधने का भी नियम है। हाथ में सिक्का या रुपया लेकर मुट्ठी बंद कर लें। अब एक हाथ सिर पर रखें। अब सामने खड़े व्यक्ति से 2, 3 या पांच बार कलावा कलाई पर लपेटवाएं और फिर हाथ में बंधे रुपए उसे भेंट में दें। 

कहां फैंके पुराना कलावा
कलावे को उतारकर कहीं भी नहीं फेंक देना चाहिए। इसे उतारने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे रख दें ये फिर नदी में प्रवाहित कर दें।

डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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