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Hindi News मध्य-प्रदेश 'ये मेरे जीवन का आखिरी चुनाव होगा...', राजगढ़ से लड़ने पर ऐसा क्यों बोले दिग्विजय सिंह

'ये मेरे जीवन का आखिरी चुनाव होगा...', राजगढ़ से लड़ने पर ऐसा क्यों बोले दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ में प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। उनकी एक वीडियो भी वायरल हो रही है, जिसमें वह अपने कार्यकर्ताओं को कहते हुए सुने जा सकते हैं कि यह चुनाव उनके बस का नहीं है। अत: यह चुनाव उनके युवा कार्यकर्ताओं को लड़ना होगा।

digvijaya singh- India TV Hindi Image Source : PTI दिग्विजय सिंह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी ने "संकेत" दिया है कि उन्हें मध्य प्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। कांग्रेस ने अभी तक राज्य की 29 सीट में से राजगढ़ सहित 19 सीट पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ''अभी घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मुझे संकेत दिया गया है।''

'यह चुनाव मेरे बस का नहीं...'

एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा,‘‘यह मेरे जीवन का आखिरी चुनाव होगा और मुझे उम्मीद है कि लोग मेरा और कांग्रेस का समर्थन करेंगे।’’ सूत्र दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा है, इस आदेश को उन्होंने मान भी लिया है। इसी क्रम में उन्होंने अपने क्षेत्र राजगढ़ में प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है। अब उनकी एक वीडियो भी वायरल हो रही है, जिसमें वह अपने कार्यकर्ताओं को कहते हुए सुने जा सकते हैं कि यह चुनाव उनके बस का नहीं है। अत: यह चुनाव उनके युवा कार्यकर्ताओं को लड़ना होगा।

उन्होंने कहा, "अभी तक कोई घोषणा नहीं हुई है पर मुझे बताया जाता है कि मुझे चुनाव लड़ना है। यह चुनाव मेरे बस का नहीं है क्योंकि मैं 75 साल का हो चुका हूं, यह चुनाव युवाओं का चुनाव हे इसे आपको लड़ना है, यह बहुत साधारण तरीके से सिर्फ बूथ पर लड़ा जाएगा। इसमें ज्यादा हो हल्ला या बड़ी रैलियां निकालने की जरूरत नहीं, सभी लोग सिर्फ बूथ पर मेहनत करके इसे लड़ेंगे।"

1984 और 1991 में राजगढ़ से सांसद चुने गए थे दिग्विजय

राजगढ़ का प्रतिनिधित्व भाजपा के सांसद रोडमल नागर करते हैं, जिन्होंने 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी। नागर इस बार आम चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार हैं। सिंह 1984 और 1991 में राजगढ़ से सांसद चुने गए थे। उनके 1993 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद, यह सीट 1994 (उपचुनाव) से 2004 तक उनके भाई लक्ष्मण सिंह के पास रही। लक्ष्मण ने भाजपा के टिकट पर 2004 का लोकसभा चुनाव यहां से जीता लेकिन सिंह के करीबी सहयोगी नारायण सिंह अमलाबे ने 2009 में लक्ष्मण सिंह को हरा दिया। 2014 में, नागर ने अमलाबे को हराया और फिर 2019 में सीट बरकरार रखी। (भाषा)

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