मध्य प्रदेश वाकई अजब है और यहां के अधिकारी गजब। शहडोल जिले में कभी 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूरों का बिल पास होता है, तो अब नए कारनामे में भदवाही पंचायत में जल संरक्षण की चौपाल में किसी शादी-ब्याह से कम खर्चा नहीं हुआ। यहां 5 किलो काजू, 5 किलो बादाम और 30 किलो नमकीन खाकर अफसरों ने प्यासी जनता को पानी बचाने का संदेश दिया।
क्या है पूरा मामला?
शहडोल जिले के गोहपारू जनपद की भदवाही ग्राम पंचायत में दो महीने पहले जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल चौपाल का आयोजन हुआ। मकसद था गांव-गांव जाकर जल बचाने की सीख देना। लेकिन चौपाल के नाम पर पंचायत रजिस्टर में दर्ज खरीदारी देखकर सब हैरान रह गए। सिर्फ एक घंटे के कार्यक्रम में अफसरों की खातिरदारी के लिए 5 किलो काजू, 5 किलो बादाम, 3 किलो किशमिश, 30 किलो नमकीन, 20 पैकेट बिस्किट, 6 किलो दूध, 5 किलो शक्कर और 2 किलो घी का इंतजाम किया गया। कुल खर्चा आया- 24 हजार रुपये से ज्यादा।
जब गांव के कुएं, तालाब और नाले सूखे हैं, तब सरकारी चौपाल की छांव में अफसरों की मेज पर मेवों और घी की बारिश हो रही है तो सवाल उठा जल बचाने के नाम पर अफसरों की थाली में काजू-बादाम कैसे?
4 लीटर पेंट के लिए लगाए थे 168 मजदूर
बता दें कि यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले शहडोल जिले के सरकारी स्कूलों में 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री दिखाकर 1 लाख 6 हजार रुपये का बिल पास कर दिया गया था। निपनिया स्कूल में 20 लीटर पेंटिंग और मामूली फिटिंग के लिए 275 मजदूर और 150 मिस्त्री दिखाकर 2 लाख 31 हजार रुपये का भुगतान किया गया। सबसे हैरानी की बात है कि बिल बनने से एक महीने पहले ही उसकी मंजूरी दे दी गई।
Image Source : india tvएमपी में पेंट घोटाला।
कांग्रेस ने क्या कहा?
जहां 4 लीटर पेंट के लिए 165 मजदूर का पेमेंट देने का मामला अभी थमा भी नहीं था, कि जल संवर्धन कार्यक्रम के दौरान काजू नमकीन का मामला सामने आते ही कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोल दिया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश एक भी विभाग ऐसा नही है जहां 50% से कम कमीशन लिया जाता हो। कुछ दिन में 1 लीटर पेंट से 233 लोगों ने पुताई की थी, अब 14 लोग जिस तरीके से ड्राई फ्रूट खा गए, मुझे लगता है कि पेट तो इनका इंसानों जैसा था लेकिन खा भैसों जैसा गए और पचा भी गए।
मुख्यमंत्री मोहन यादव जल संरक्षण की बात करते हैं, लेकिन जमीनी अमला इसे खर्च संवर्धन योजना बना रहा है। जनता पानी ढो रही है और अफसरों की थाली में काजू-बादाम, घी व नमकीन परोसी जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है क्या वाकई MP अजब है और यहां के अधिकारी गजब।
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