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MP News: मध्यप्रदेश में पोषण आहार पर शिवराज की सफाई, 104 कर्मचारियों पर कार्रवाई

MP News: मध्य प्रदेश के महालेखाकार की एक रिपोर्ट में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों के लिए पोषण आहार कागजों में ट्रक से ढोया हुआ दिखाया गया है।

Shivraj Singh Chauhan- India TV Hindi Shivraj Singh Chauhan

Highlights

  • पोषण आहार घोटाले पर शिवराज सिंह चौहान ने दी सफाई
  • महालेखाकार की एक रिपोर्ट में घोटाले का हुआ पर्दाफाश
  • शिवराज सरकार ने मामले को लेकर 104 कर्मचारियों पर कार्रवाई की

MP News: मध्य प्रदेश में महालेखाकार की रिपोर्ट में पोषण आहार में सौ करोड़ से ज्यादा की गड़बड़ी का खुलासा किए जाने के बाद से राज्य की सियासत गर्म है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले पर तस्वीर साफ करने की कोशिश की और कहा है कि इस गड़बड़ी में कांग्रेस का 15 माह का शासनकाल भी शामिल है। उनकी सरकार ने 104 कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री चौहान ने विधानसभा में हंगामें के बीच अपना वक्तव्य दिया और विपक्ष से चर्चा करने की चुनौती भी दी। चौहान ने कहा, जिस रिपोर्ट को सीएजी की रिपोर्ट बताया जा रहा है, वह सीएजी की रिपोर्ट नहीं केवल एक ड्राफ्ट रिपोर्ट है, इसे महालेखाकार ने तैयार किया है। ड्राफ्ट रिपोर्ट में जो पैरा लिखे गए हैं, वे सीएजी ऑफिस के प्रारंभिक आब्जर्वेशन्स है। महालेखाकार की यह ड्राफ्ट रिपोर्ट वर्ष 2018 से लेकर 2021 तक की अवधि की है।

आंकड़ों में हेर फेर

चौहान ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, रिपोर्ट की अवधि में पिछली सरकार के शासन काल के 15 माह भी सम्मिलित है। सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन हम चाहते हैं सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच हो। ऑडिटर ने जो 36 लाख का आंकड़ा बताया है, वो मध्यप्रदेश की 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं की कुल संख्या है, न कि शाला त्यागी बालिकाओं की। स्कूल शिक्षा विभाग में शाला नहीं जाने वाली बालिकाओं की संख्या में केवल वे बालिकाएं सम्मिलित रहती हैं, जिनका नाम किसी स्कूल में दर्ज नहीं है। जबकि महिला बाल विकास के सर्वे में वो बालिकाएं भी शामिल हैं, जो स्कूल नहीं जातीं भले ही उनका नाम स्कूल में दर्ज हो । इसलिए इन दोनों विभागों के आंकड़े एक समान होना संभव ही नहीं है। चौहान ने कहा कि, हमारी सरकार ने 11 से 14 वर्ष की किशोरी बालिकाओं का बेस लाइन सर्वे कर रिपोर्ट सितंबर, 2018 में भारत सरकार को भेजी थी। रिपोर्ट में किशोरी बालिकाओं की संख्या कुल दो लाख 52 हजार थी। वर्ष 2018 से वर्ष 2021 की अवधि के लिए हितग्राही बालिकाओं की कुल संख्या 5.51 लाख ही है।

प्रदेश के 7 जिलों में लगाए गए आहार संयत्र

पूर्व में भाजपा सरकार द्वारा पोषण आहार के लिए की गई व्यवस्था की जिक्र करते हुए चौहान ने कहा, मार्च 2018 में भाजपा सरकार ने पोषण आहार व्यवस्था से निजी कंपनियों को बाहर कर पोषण आहार की बागडोर प्रदेश के महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी थी। प्रदेश के सात जिलों- धार, सागर, मण्डला, देवास, नर्मदापुरम, रीवा एवं शिवपुरी में 7 पोषण आहार संयंत्रों का निर्माण 60 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया। कांग्रेस सरकार ने नवम्बर, 2019 में निर्णय लिया कि ये संयंत्र महिला स्व-सहायता समूहों से वापस लेकर पुन: एम. पी. एग्रो को दे दिए जाएं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप फरवरी, 2020 में एम.पी.एग्रो ने सभी पोषण आहार संयंत्रों को आधिपत्य में ले लिया। हमारी सरकार दोबारा बनते ही मार्च, 2020 में पुरानी व्यवस्था को लागू किया।

पोषण आहार की गुणवत्ता मापदण्डों के अनुरूप नहीं पाई गई

सीएजी की रिपोर्ट में परिवहन के लिए दर्षाए गए ट्रकों के स्थानों पर मोटर साइकिल, स्कूटी आदि की बात सामने आने पर उन्होंने कहा, ड्राफ्ट रिपोर्ट के साथ जो 84 वाहनों के चालानों का उल्लेख है, उनमें से 84 चालानों में से 31 चालान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से संबंधित है। पोषण आहार की गुणवत्ता को लेकर सीएजी रिपोर्ट में उठाए गए सवाल का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा, जिस अवधि में पोषण आहार की गुणवत्ता मापदण्डों के अनुरूप नहीं पाई गई वह संपूर्ण अवधि (मार्च, 2019 से जनवरी, 2020) कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से संबंधित है। पिछली सरकार के कार्यकाल में लगभग 38 हजार 304 मीट्रिक टन मात्रा, जिसका मूल्य 237 करोड़ रुपए राशि है, के टेक होम राशन की गुणवत्ता अमानक होने के बावजूद भी उसे प्राप्त किया गया। इसके कारण संबंधित एजेन्सी का 35 करोड़ रुपए का भुगतान रोक दिया था।

मामले की जांच कर होगी कार्रवाई

चौहान ने सरकार के सख्त रवैए को लेकर कहा, गडबड़ी करने वालों पर हमने अब तक 104 अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। 22 अधिकारियों को निलंबित किया गया है, छह को नौकरी से निकाल बाहर किया गया है। तीन अधिकारियों की पेंशन रोकी गई है, दो की वेतनवृद्धि रोकी गई है 40 की विभागीय जाँच चल रही है और 31 अधिकारियों को लघु शास्ति दी गई है। महालेखाकार की रिपोर्ट अंतिम नहीं अंतरिम है, इस पर राज्य सरकार अपना पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखेगी हर तथ्य हर आँकड़े की सूक्ष्मता से जाँच कर सरकार बिन्दुवार अपना मत सीएजी को भेजेगी।