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Hindi News महाराष्ट्र 'आवासीय सोसाइटी में न दी जाए जानवरों की कुर्बानी', बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

'आवासीय सोसाइटी में न दी जाए जानवरों की कुर्बानी', बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

बकरीद पर दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह की रजा और उसके आदेश का पालन करते हुए अपने-अपने देशों के कानूनों के अनुसार जानवरों की बलि देते हैं।

bombay high court- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई: मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक ईद-अल-अदहा (बकरीद) को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को निर्देश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने BMC को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बकरीद त्योहार के दौरान दक्षिण मुंबई की आवासीय कॉलोनी में जानवरों को अवैध रूप से न मारा जाये। बकरीद या ईद-अल-जुहा का त्योहार आज देश भर में मनाया जा रहा है। मामले की विशेष सुनवाई में, जस्टिस जी. एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि नैथानी हाइट्स सोसाइटी में जानवरों के हलाल की अनुमति केवल तभी दी जा सकती है, जब नगर निकाय द्वारा लाइसेंस दिया गया हो।

कोर्ट ने कहा, ‘‘यदि नगर निगम ने उक्त स्थान पर जानवरों को हलाल करने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया है, तो नगर निगम के अधिकारी पुलिसकर्मियों की सहायता से कल जानवरों के हलाल को रोकने के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेंगे।’’ पीठ सोसाइटी निवासी हरेश जैन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वहां जानवरों को मारे जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है। बीएमसी की ओर से पेश वकील जोएल कार्लोस ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। कार्लोस ने कहा कि नगर निकाय के अधिकारी सोसाइटी परिसर का निरीक्षण करेंगे और यदि कोई उल्लंघन होता है तो उचित कार्रवाई की जायेगी।

जमीयन ने कही थी यह बात
मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सोमवार को मुस्लिम समुदाय से ईद-उल-अजहा पर जानवरों की कुर्बानी करते समय सरकारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करने और कुर्बानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा नहीं करने का अनुरोध किया था। ईद-उल-अजहा को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। जमीयत ने कहा कि जब कोई जायज कुर्बानी को रोकने की कोशिश करे तो प्रशासन को इसकी जानकारी दें।

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इसलिए मनाई जाती है बकरीद
दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह की रजा और उसके आदेश का पालन करते हुए अपने-अपने देशों के कानूनों के अनुसार जानवरों की बलि देते हैं। इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दे दिया और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।