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Hindi News महाराष्ट्र उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनावों के लिए एक और कैंडिडेट के नाम का किया ऐलान, MVA में अभी नहीं हुआ है सीटों का बंटवारा

उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनावों के लिए एक और कैंडिडेट के नाम का किया ऐलान, MVA में अभी नहीं हुआ है सीटों का बंटवारा

मुंबई दक्षिण से अरविंद सावंत की उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा कि अरविंद सावंत को आपने दो बार सांसद किया,तीसरी बार उन्हें मौका दीजिये।

Lok Sabha Election, Lok Sabha Election 2024, Election 2024- India TV Hindi Image Source : PTI शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे।

मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के कफ परेड में हुई सभा में शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनावों के लिए एक और कैंडिडेट के नाम का ऐलान कर दिया। उद्धव ठाकरे ने सभा के दौरान अपने संबोधन में कहा कि मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद अरविंद सावंत ही पार्टी के उम्मीदवार होंगे। इससे पहले ठाकरे ने ऐलान किया था कि मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से अमोल कीर्तिकर को मैदान में उतारा जाएगा। उद्धव ठाकरे के इस कदम से विपक्षी गठबंधन MVA में विवाद पैदा हो सकता है।

‘अरविंद सावंत को तीसरी बार मौका दीजिए’

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘कल हमारी I.N.D.I.A. गठबंधन की सरकार आएगी। जब हमारी सरकार आएगी तो मैं महाराष्ट्र के साथ कोई भेदभाव नहीं होने दूंगा जैसा कि अभी किया जा रहा है। अरविंद सावंत ने यहां (मुंबई दक्षिण में) कमाल का काम किया। वह यहां से सांसद हैं। क्या दोबारा नाम की घोषणा करना जरूरी है? वह यहीं से सांसद हैं और यहीं से सांसद रहेंगे। जब ट्रिब्यूनल यहां आएं तो उन्हें बताएं कि शिवसेना किसकी है। मैं अब अरविंद सावंत के नाम की घोषणा कर रहा हूं, मैं उससे लड़ने के लिए कहता हूं। अरविंद सावंत को आपने दो बार सांसद किया,तीसरी बार उन्हें मौका दीजिये।’

‘बीजेपी संविधान को बदलना चाहती है’

बता दें कि इससे पहले उद्धव ने दावा किया कि था आगामी लोकसभा चुनाव में BJP 400 से ज्यादा सीट जीतने के लक्ष्य के साथ इसलिए प्रचार कर रही है क्योंकि वह 'संविधान बदलना चाहती' है। महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के गुहागर में एक रैली को संबोधित करते पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'BJP की रणनीति को समझें। वह लोकसभा की 543 सीट में से 400 से अधिक सीट इसलिए जीतना चाहती है क्योंकि जब वह संविधान बदलना चाहे तो विपक्ष के नेता आवाज न उठा सकें। हाल ही में 100 से अधिक सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया गया था और इस दौरान किसी चर्चा के बिना कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर दिए गए।'