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Hindi News महाराष्ट्र सावरकर का अपमान करने वालों के साथ सरकार चला रही है शिवसेना: देवेंद्र फडणवीस

सावरकर का अपमान करने वालों के साथ सरकार चला रही है शिवसेना: देवेंद्र फडणवीस

फडणवीस ने कहा, शिवसेना वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग करती रही है और अब वह ऐसे दलों के साथ है जो उन्हें अपशब्द बोलते हैं।

Devendra Fadnavis, Devendra Fadnavis Savarkar, Devendra Fadnavis Shiv Sena- India TV Hindi Image Source : PTI FILE भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना को सावरकर पर बोलने का अधिकार नहीं है।

Highlights

  • फडणवीस ने कहा कि शिवसेना को सावरकर पर बोलने का अधिकार नहीं है।
  • हिंदुत्व को बचाने के लिए देश की जनता के बीच जनजागरुकता की आवश्यकता है: फडणवीस
  • उद्धव ठाकरे ने कहा था कि बीजेपी ने वीर सावरकर और महात्मा गांधी दोनों ही को नहीं समझा है।

ठाणे: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवसेना को सावरकर पर बोलने का अधिकार नहीं है क्योंकि उसने महाराष्ट्र में सत्ता की खातिर ऐसे दलों के साथ गठबंधन किया है जो लगातार स्वतंत्रता सेनानी का अपमान करते हैं और उनके लिए अपशब्द बोलते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने गुरुवार रात डोंबिवली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदुत्व को बचाने के लिए देश की जनता के बीच जनजागरुकता की आवश्यकता है और शिवसेना जैसे दल जो सत्ता के लिए ‘बेशर्म’हो गए हैं, वे इन प्रयासों का हिस्सा कभी नहीं बन सकते हैं।

फडणवीस ने कहा,‘शिवसेना वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग करती रही है और अब वह ऐसे दलों के साथ है जो लगातार उन्हें अपमानित करते हैं और उन्हें अपशब्द बोलते हैं। उन्हें वीर सावरकार के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है।’ बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कुछ दिन पहले स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की टिप्पणी को लेकर उपजे विवाद पर कहा था कि भारतीय जनता पार्टी ने वीर सावरकर और महात्मा गांधी दोनों ही को नहीं समझा है।

राजनाथ सिंह ने हाल ही में यह दावा करके विवाद पैदा कर दिया था कि अंडमान के सेलुलर जेल में बंद रहने के दौरान महात्मा गांधी ने वीर सावरकर को ब्रिटिश सरकार को दया याचिका भेजने की सलाह दी थी। वहीं, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि वीर सावरकर ने वर्ष 1925 में जेल से बाहर आने के बाद अंग्रेजों के 'फूट डालो और राज करो' के एजेंडे पर काम किया और उन्होंने सबसे पहले 'दो राष्ट्र' की बात कही थी। बघेल ने आगे कहा कि देश के विभाजन का प्रस्तावना सावरकर ने दी थी।