A
Hindi News मिजोरम कौन हैं लालदुहोमा जो कभी संभालते थे इंदिरा गांधी की सुरक्षा, अब बनेंगे मिजोरम के सीएम

कौन हैं लालदुहोमा जो कभी संभालते थे इंदिरा गांधी की सुरक्षा, अब बनेंगे मिजोरम के सीएम

मिजोरम विधानसभा चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने बहुमत हासिल कर लिया है। इसके बाद अब जेडपीएम के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा पर सबकी नजरें आ गई हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसे कभी इंदिरा गांधी की सुरक्षा संभालने वाला एक IPS अधिकारी अब मिजोरम का सीएम बनेगा।

Lalduhoma- India TV Hindi Image Source : INDIA TV ZPM के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा

मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने राज्य विधानसभा की 40 में से 27 सीट जीतकर राज्य में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। जीत हासिल करने वाले जेडपीएम के प्रमुख नेताओं में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा शामिल हैं। उन्होंने सेरछिप सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के जे.माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 मतों से हराया। लेकिन ये वही लालदुहोमा हैं जो कभी इंदिरा गांधी की सुरक्षा संभालते थे और अब मिजोरम के सीएम बन रहे हैं।

पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं लालदुहोमा

लालदुहोमा दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद थे। मिजोरम के मुख्यमंत्री बनने की तरफ बढ़ रहे 73 वर्षीय लालदुहोमा का राजनीतिक सफर बाधाओं से जूझते हुए बीता है। वह पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और इंदिरा गांधी के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अब लालदुहोमा जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। 

पहली बार चुनाव लड़कर सत्ता में आई पार्टी 

गौर करने वाली बात ये भी है कि लालदुहोमा की जोरम पीपुल्स मूवमेंट मुश्किल से 4 साल पुरानी पार्टी है और पहली बार अपने राज्य में चुनाव लड़ा और सत्ता में आ गई।  महज 2019 में राजनीतिक दल के तौर पर पंजीकरण कराने वाली जेडपीएम ने निर्वाचन आयोग के मुताबिक सोमवार को हुई मतगणना में मिजोरम की 40 विधानसभा सीट में से 27 पर जीत हासिल कर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। लालदुहोमा ने सेरछिप सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के जे. माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 वोट से हराया। बता दें कि तीन दशकों से अधिक समय से, पूर्वोत्तर राज्य में मुख्यमंत्री पद दो वरिष्ठ नेताओं- कांग्रेस के ललथनहवला और मिजो नेशनल फ्रंट के जोरमथांगा में से किसी एक के पास जाता रहा है। 

अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद और विधायक 

लालदुहोमा ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार लालमिंगथंगा से 846 मतों के अंतर से हार गए। फिर उसी साल उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और निर्विरोध चुने गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद, जेडपीएम नेता ने 1986 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी छोड़ दी। लालदुहोमा कांग्रेस छोड़ने के बाद 1988 में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने। 

इसके बाद मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो द्वारा भी 2020 में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के 12 विधायकों ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि वह 2018 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुने जाने के बाद पार्टी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेकर जेडपीएम में शामिल हो गए थे। लालदुहोमा मिजोरम में दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले विधायक थे, हालांकि वह 2021 में सेरछिप सीट पर उपचुनाव जीतने में कामयाब रहे। 

कांग्रेस और MNF दोनों में रह चुके लालदुहोमा

ये भी बता दें कि लालदुहोमा कांग्रेस के अलावा, वह एक समय एमएनएफ का भी हिस्सा थे। उन्होंने अपनी पार्टी, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी बनाई थी और जेडपीएम के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राज्य में 2018 के विधानसभा चुनाव में लालदुहोमा ने दो सीट- सेरछिप और आइजोल पश्चिम-प्रथम से जुना जीता। उन्होंने सेरछिप से निवर्तमान विधायक और पांच बार के मुख्यमंत्री ललथनहवला को 410 मतों के अंतर से हराया था। लालदुहोमा ने बाद में आइजोल पश्चिम-प्रथम सीट छोड़ दी और सेरछिप से विधायक बने रहे। 

ये भी पढ़ें-

तेलंगाना में सीएम चुनने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को मिला जिम्मा, नए फेस की संभावना तेज

छत्तीसगढ़ विधानसभा से राजपरिवार का टोटल सफाया, पहली बार हारे एक साथ सभी सदस्य