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ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाओं पर मिल सकता है ‘कैशबैक’, ट्राई ने की सिफारिश

ट्राई ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं की वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के क्रियान्वयन की सिफारिश की है।

<p>ग्रामीण इलाकों में...- India TV Paisa Image Source : PIXABAY ग्रामीण इलाकों में ब्रॉडबैंड सेवाओं पर मिल सकता है ‘कैशबैक’, ट्राई ने की सिफारिश

नयी दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने तथा कनेक्शन की गति को बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। इसमें ब्रॉडबैंड की न्यूनतम रफ्तार को 2 मेगाबिट प्रति सेकेंड तय करने की सिफारिश की गई है। इसके साथ ही नियामक ने प्रयोगकर्ताओं को शुल्क पर 200 रुपये तक का ‘कैशबैक’ देने की भी सिफारिश की है। नियामक ने उसके द्वारा पूर्व में परिभाषित समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को भी अपनाने की सिफारिश की है। इससे केबल टीवी ऑपरेटर इस योजना के दायरे में आ सकेंगे। 

ट्राई ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं की वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के क्रियान्वयन की सिफारिश की है। इसके तहत नियामक ने ग्रामीण इलाकों में प्रत्येक ग्राहक को उनके ब्रॉडबैंड कनेक्शन शुल्क में से 200 रुपये तक लौटाने का सुझाव दिया है। ट्राई ने मंगलवार को कहा, ‘‘केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (नियमन) कानून, 1995 के तहत पंजीकृत केबल ऑपरेटरों को ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने को प्रोत्साहित करने के लिए उनसे संबंधित एजीआर की गणना के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्राधिकरण पहले ही अपनी सिफारिेशें सरकार को दे चुका है।’’ 

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ट्राई ने दूरसंचार गतिविधियों को छोड़कर अन्य परिचालन से आय के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी लाइसेंस/अनुमति, यूएसओ कोष से प्राप्ति को मान्य सकल राजस्व की गणना से अलग करने को कहा है। नियामक ने दूरसंचार विभाग को अपनी सिफारिशों में ऐसे स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया को तेज करने को भी कहा है जिन्हें 5जी के लिए उपयुक्त समझा जाता है। ट्राई ने ब्रॉडबैंड सेवाओं की तीन श्रेणियों का सुझाव दिया है। इनमें न्यूनतम दो एमबीपीएस की डॉउनलोड स्पीड की बेसिक सेवा, 50 से 300 एमबीपीएस की डाउनलोड रफ्तार की तेज सेवा और 300 एमबीपीएस से अधिक की ‘सुपर फास्ट’ सेवा शामिल है। 

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ट्राई ने कहा कि केंद्र सरकार को सबसे पहले ‘नेशनल राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू)’ नीति लेकर आनी चाहिए ताकि देशभर में दूरसंचार नेटवर्क के समक्ष आने वाली अड़चनों को दूर किया जा सके। नियामक ने कहा कि आरओडब्ल्यू की अनुमति की प्रक्रिया को सुसंगत बनाने और एकल खिड़की इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया (ऑनलाइन) को स्थापित करने के लिए केंद्र को वेब आधारित राष्ट्रीय पोर्टल बनाना चाहिए। ट्राई ने सिफारिश की है कि इस पोर्टल का विकास एक साल के अंदर किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ट्राई ने फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड सेवाओं के विकास के लिए दूरसंचार और इंटरनेट सेवाप्रदाताओं को लाइसेंस शुल्क छूट के रूप में प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया है। 

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