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राजस्थान: बाल विवाह रजिस्ट्रेशन? बाल आयोग करेगा पारित किए गए संशोधनों की जांच

भारत की सर्वोच्च बाल अधिकार संस्था NCPCR ने शनिवार को कहा कि वह बाल विवाह सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण पर राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित संशोधनों की जांच करेगा और बच्चों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

Child marriage in rajasthan NCPCR to examine new rules राजस्थान: बाल विवाह रजिस्ट्रेशन? बाल आयोग करे- India TV Hindi Image Source : PTI (FILE) राजस्थान: बाल विवाह रजिस्ट्रेशन? बाल आयोग करेगा पारित किए गए संशोधनों की जांच

नई दिल्ली. राजस्थान विधानसभा में पिछले शुक्रवार को पारित किए गए शादियों के अनिवार्य पंजीकरण के लिए एक संशोधन विधेयक को लेकर बवाल मचा हुआ है। राजस्थान में विपक्ष की भूमिका निभा रही भाजपा इसका विरोध कर रही है। भाजपा का कहना है कि इस कानून से बाल विवाह वैध हो जाएंगे। अब इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) भी कूद पड़ा है। भारत की सर्वोच्च बाल अधिकार संस्था NCPCR ने शनिवार को कहा कि वह बाल विवाह सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण पर राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित संशोधनों की जांच करेगा और बच्चों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।

हंगामे के बीच पारित हुआ संशोधन
भाजपा ने गहलोत सरकार द्वारा पारित किए गए इस संशोधन का विरोध किया है। पार्टी ने दावा किया कि इससे बाल विवाह वैध हो जाएंगे और इसे ‘‘काला कानून’’ करार दिया। भाजपा ने मांग की थी कि विधानसभा अध्यक्ष को मत विभाजन कराना चाहिए। विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के करीब पहुंच गए लेकिन ध्वनिमत से विधेयक पारित कर दिया गया। मत विभाजन की मांग स्वीकार नहीं किए जाने पर भाजपा सदस्यों ने बहिर्गमन किया।

गहलोत सरकार ने किया संशोधन का बचाव
सदन में राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 का बचाव करते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि प्रस्तावित कानून विवाह के पंजीकरण की अनुमति देता है, लेकिन कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि ऐसी शादियां अंततः वैध हो जाएंगी। मंत्री ने कहा कि यदि यह वास्तव में बाल विवाह है तो जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारी परिवारों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे। नए विधेयक के अनुसार, वर-वधू विवाह पंजीकरण के लिए उस स्थान के विवाह पंजीकरण अधिकारी को आवेदन कर सकते हैं, जहां वे 30 दिनों से अधिक समय से रह रहे हैं।

बाल आयोग ने क्या कहा
राजस्थान सरकार द्वारा पारित किए गए संशोधन के तहत अब शादियों को रजिस्ट्रेन 30 दिनों के अंदर करवाना ही होगा। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए NCPCR के चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो ने कहा कि भारत में बच्चों के अधिकारों के संरक्षक होने के नाते, यह देखना NCPCR का दायित्व है कि किसी भी बाल अधिकार का उल्लंघन न हो।

उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से, हमें राजस्थान विधानसभा द्वारा एक नया विधेयक पारित करने की खबर मिली है जो बाल उत्पीड़न की बात करता है और आयोग इसके खिलाफ खड़ा है। हम कानूनी पहलू का अध्ययन कर रहे हैं और अपने कानूनी विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कार्रवाई शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि बाल विवाह अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम और पोस्को अधिनियम के विपरीत बाल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, तो हम इसके कार्यान्वयन को रोकने के लिए अदालत जाएंगे। राज्य सरकार को बच्चों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और NCPCR राजस्थान के विधायकों से पुनर्विचार करने का अनुरोध करता है।