Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में लिखा है कि गलत तरीकों से कमाया हुआ धन इंसान के पास ज्यादा दिन नहीं टिकता है। ऐसे कमाने से इंसान की बर्बादी तय है। ऐसी संपत्ति का विनाश होना तय है। पापकर्म या किसी को कष्ट देकर कमाया हुआ धन अभिशापित होता है। ये धन जहां भी जाएगा, बर्बादी ही लेकर आएगा। चाणक्य ने अपनी नीति में एक श्लोक का जिक्र किया है, जो गलत तरीकों से धन कमाने वालों की ओर इशारा करता है।
अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि माँ लक्ष्मी चंचल होती हैं। लेकिन व्यक्ति अगर चोरी, जुआ, अन्याय और धोखा देकर धन कमाता है तो वह धन शीघ्र नष्ट हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी अन्याय या झूठ बोलकर धन अर्जित नहीं करना चाहिए।
आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् ।
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च ।।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें यह सभी मनुष्य के कर्मों का ही फल होती हैं, जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। इसलिए व्यक्ति को सदैव अच्छे ही कर्म करने चाहिए। आचार्य चाणक्य बता रहे हैं कि व्यक्ति को हमेशा दान-धर्म करना चाहिए और किसी व्यक्ति को दुख अथवा झूठ बोलने जैसी बुरी आदतों से बचना चाहिए।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।