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Hindi News धर्म त्योहार कन्या पूजन के नियम क्या हैं? जानिए कितने साल तक की कन्याएं इस पूजन में हो सकती हैं शामिल

कन्या पूजन के नियम क्या हैं? जानिए कितने साल तक की कन्याएं इस पूजन में हो सकती हैं शामिल

Kanya Pujan Rules: शास्त्रों में छोटी बालिकाओं को कन्या पूजन में आमंत्रित करने का विधान है। यह नवरात्रि की पूजा का पूर्ण फल देने वाली पंरपरा मानी जाती है। छोटी कन्याओं को मा दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। जानिए कन्या पूजन के नियम और सही तरीका क्या है।

कन्या पूजन के नियम...- India TV Hindi Image Source : CANVA कन्या पूजन के नियम क्या है

Kanya Pujan Ke Niyam: नवरात्रि में नौ दिनों का व्रत रखने वाले भक्तों के लिए आखिरी दिन कन्या पूजन के साथ व्रत पारण करने का विधान है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या भोज कराए जाने की परंपरा है। शारदीय नवरात्रि 2025 में 30 सिंतबर और 1 अक्टूबर को कन्या पूजन किया जाएगा।

पूरे विधि-विधान से कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चलिए जानते हैं कि कन्या पूजन के क्या नियम हैं और किस आयु की लड़कियों को इस पूजन में शामिल किए जाने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

नवरात्रि में कन्या पूजन का है विशेष महत्व

शास्त्रों में नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। बहुत से लोग अष्टमी तिथि को व्रत का पारण करते हैं और कुछ लोग नवमी तिथि पर व्रत पारण करते हैं। ऐसे में ये दो तिथियां बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन दिनों सात, नौ या ग्यारह कन्याओं को भोजन कराने से साधन के जीवन में सुख-समृद्धि का प्रवेश होता है। 

शारदीय नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि

पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर, सोमवार को शाम के 4 बजकर 33 मिनट पर होगी और 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 8 मिनट पर समापन होगा। वहीं, 30 तारीख को शाम के 6 बजकर 8 मिनट से नवमी तिथि शुरू होगी। इसकी समाप्ति 1 अक्टूबर, बुधवार को शाम के 7 बजकर 3 मिनट पर होगी। 

कन्या पूजन के नियम

  • शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पहले से लेकर अंतिम दिन में साधक कन्या पूजन कर सकते हैं। 
  • अष्टमी और नवमी तिथि पर ज्यादातर लोग कंजन पूजन करते हैं। मान्यता है कि कन्या पूजन में 9 कन्याएं देवी दुर्गा के नौ स्वरूप होती हैं। ऐसे में अगर पूरी 9 न मिल पाएं, तो आप 3, 5 या 7 कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं। 
  • कन्याओं के साथ एक बालक को भी उनके साथ भोजन करानने का विधान है, जिसे बटुक भैरव माना जाता है। 
  • शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन में 2 से 10 साल तक की बालिकाओं को शामिल किया जाना चाहिए। 
  • मान्यता है की कन्याओं को जीरा या चावल कपड़े में बांधकर देने चाहिए। इससे आपके घर में वैभव आता है।

जानें क्या है कन्या पूजन की सही विधि

जब कन्याएं आपके घर आएं, तो उनका स्वागत फूल-मालाओं से करें। उन्हें साफ-सुथरे आसन पर बिठाए। इसके बाद सभी कन्याओं के पैर पखारें और उनके पैरों को आलता से सजाएं। इसके बाद रोली और अक्षत से उनका तिल करें। हो सके तो कन्याओं को लाल रंग की चुनरियां भेंट करें। इसके बाद कन्याओं को भोजन परोसें। फिर अपनी क्षमता के अनुसार बालिकाओं को उपहार दें। सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। माता रानी का स्वरूप मानकर उन्हें अगले साल फिर आने का निमंत्रण देकर विदाई दें। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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