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Hindi News धर्म त्योहार Sunday Mythology Story: राहु क्यों लगाते हैं सूर्य को ग्रहण? आइए जानते हैं इन दोनों के बीच दुश्मनी की वजह

Sunday Mythology Story: राहु क्यों लगाते हैं सूर्य को ग्रहण? आइए जानते हैं इन दोनों के बीच दुश्मनी की वजह

आज रविवार का दिन है। यह दिन सूर्य नारायण का होता है। ऋग वेद में तो सूर्य देव की बड़ी महिमा का गुणगान किया गया है। लेकिन आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि राहु आखिर सूर्य को क्यों बनाते हैं अपना ग्रास और क्या दुश्मनी है इन दोनो के बीच में।

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Sunday Mythology Story: हिंदू धर्म में पंच देवताओं में से कलयुग में सिर्फ सूर्य देव के ही दर्शन होते हैं। सूर्य देव के बारे में शास्त्र यह कहते हैं कि भगवान भास्कर जगत की आत्मा हैं। उनके तेज से समस्त जगत प्रकाशित होता है। चंद्रमा और अन्य नक्षत्रों की चमक के पीछें सूर्य भगवान की ही लीला है।

ग्रहों में भी सूर्य भगवान राजा कहलाए जाते हैं। लेकिन क्या आप एक बात जानते हैं ज्योतिष में सूर्य ग्रहों के राजा होने के बाबजूद भी राहु ग्रह उनको ग्रास बनाते हैं और जिस कारण सूर्य ग्रहण लगता है। आखिर ऐसा क्यों है और राहु की सूर्य देव से आखिर क्या दुश्मनी है? आज हम आपको इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं।

समुद्र मंथन में स्वरभानु ने पिया छल से अमृत

पौराणिक कथा के अनुसार जब देवता और असुर अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश निकालने के लिए प्रयासरत थे। उस दौरान उसमें से अमृत कलश निकला। तब भगवान विष्णु उस समय मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिला रहे थे और असुर उनका मोहिनी रूप देख कर आकर्षित हो रहे थे। ऐसे में स्वरभानु नाम के एक दैत्य ने चुपचाप देवताओं का रूप धारण कर लिया और उसी कतार में आ खड़ा हुआ जहां देवता अमृत पान कर रहे थे। जैसे ही भगवान विष्णु ने दैत्य स्वरभानु को अमृत पान कराया तभी उस दैत्य की हरकत सूर्य और चंद्र देव ने देख ली।

सूर्य और चंद्रमा ने मोल ली स्वरभानु दैत्य से दुश्मनी

सूर्य और चंद्र देव ने विष्णु जी को अमृत पान कराने से तुरंत रुकने के लिए कहा और स्वरभानु के कपट के बारे में बताया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और उस दैत्य के गले में अमृत की बूंदे जा चुकी थी। भगवान विष्णु को जब यह बात पता चली उन्होंने स्वर्भानु पर सुदर्शन चक्र से उसके गले में प्रहार कर दिया। स्वरभानु के गर्दन पर जैसे ही सुदर्शन चक्र लगा तो उसका सिर धड़ से अलग हो गया। एक हिस्सा सिर वाला राहु बन गया और दूसरा हिस्सा बाकी बचा शरीर वाला केतु बन गया। क्योंकि स्वर्भानु ने अमृत चख लिया था इसलिए वो इन दो भागों में अमर हो गया। लेकिन सूर्य और चंद्रमा उनके शत्रु बन गए और इसी वजह से राहु सूर्य को ग्रहण लगाते हैं और केतु च्रंदमा को यह ग्रहण लगा कर राहु केतु अपना बदला सूर्य और चंद्रमा से लेते हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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