A
Hindi News धर्म Badrinath Dham Yatra 2023: बद्रीनाथ धाम के कपाट कितनी चाबियों से खुलते हैं? जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक मान्यताएं

Badrinath Dham Yatra 2023: बद्रीनाथ धाम के कपाट कितनी चाबियों से खुलते हैं? जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक मान्यताएं

Badrinath Dham Temple: जल्द ही बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले हैं। इससे पहले हम आपको बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी कई बातें और मान्यताओं के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं बद्रीनाथ धाम मंदिर के बारे में।

Badrinath Dham - India TV Hindi Image Source : FILE IMAGE Badrinath Dham

Badrinath Dham Yatra 2023: हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले हर शख्स की चाह होती है कि वो एक बार बद्री विशाल के दर्शन जरूर करें। भक्तगण भगवान बद्रीनाथ के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। बद्रीनाथ धाम चार धामों में से एक है। कहते हैं भगवान विष्णु का यह प्रमुख स्थल है। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की तपोभूमि मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नारायण ने इसी जगह पर नर के साथ तपस्या की थी। आइए जानते हैं बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में।

Char Dham Yatra 2023: चारधाम की यात्रा के लिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन, यहां जानिए फीस और जरूरी दस्तावेज समेत पूरी डिटेल्स

तीन चाबियों से खुलता है बद्रीनाथ मंदिर के कपाट

 इस साल बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल 2023 खुलेंगे। मंदिर के कपाट एक चाबी से नहीं बल्कि तीन-तीन चाबियों से खुलता है और ये तीनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास होती हैं। जानकारी के मुताबिक,  एक चाबी टिहरी राज परिवार के कुल पुरोहित के पास है, दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूक धारी में शामिल मेहता लोगों के पास है और तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास होती है। इन तीनों चाबियों को लगाकर ही बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। 

6 माह तक बंद रहता है बद्रीनाथ धाम के कपाट

आपको बता दें कि हर साल बद्रीनाथ समेत  केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए छह महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां बैकुंठ कहा जाता है, यहां  विष्णु जी 6 माह जागते हैं और 6 माह निद्रा अवस्था में रहते हैं। साथ ही इस समय शीत ऋतु भी रहता है और इन जगहों पर काफी बर्फबारी होती है।

मूर्ति का घी बताता है देश का हाल

मालूम हो कि बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान विष्णु जी की मूर्ति में घी का लेप लगाया जाता है। कपाट खुलने पर मंदिर में सबसे पहले रावल प्रवेश करते हैं। मान्यता है कि अगर मूर्ति घी में पूरी तरह लिपटी है, तो उस साल देश में खुशहाली रहेगी। वहीं अगर घी कम या सूखा है तो देश में अत्यधिक बारिश हो सकती है।

दो पर्वतों के बीच स्थित है बद्रीनाथ धाम

बद्रीनाथ धाम उत्तरांचल में अलकनंदा नदी के तट पर नर और नारायण नाम के दो पर्वत के बीच स्थित है। यहां नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है। मंदिर में श्रीहरि विष्णु की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई, जो चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में निवास करते हैं। कहते हैं जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर बद्रीनाथ धाम आते हैं वो जरूर पूरा होता है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने वाले भक्तों पर सदैव भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

ये भी पढ़ें-

Exclusive Ram Navami Special: सीता स्वयंवर के समय टूटे शिव धनुष का एक टुकड़ा गिरा था नेपाल में, आज भी मौजूद है सबूत!

भारत का ऐसा गांव जहां किसी भी घर में नहीं है दरवाजे, दुकानों और बैंकों तक में नहीं लगता है ताला

लाखों सालों बाद यहां पूजे जाएंगे भगवान बद्रीनाथ? जानिए 'भविष्य बद्री' से जुड़ी मान्यताएं