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जब तक एनएसएफ नहीं करता खेल संहिता का पालन तब तक नहीं मिल सकती अस्थायी मान्यता - अदालत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह जाने बिना कि राष्ट्रीय खेल फेडरेशन (एनएसएफ) खेल संहिता का पालन कर रहे हैं या नहीं उन्हें अस्थायी मान्यता प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

Athlete- India TV Hindi Image Source : AFI Athlete

नई दिल्ली| दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह जाने बिना कि राष्ट्रीय खेल फेडरेशन (एनएसएफ) खेल संहिता का पालन कर रहे हैं या नहीं उन्हें अस्थायी मान्यता प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने कहा, ‘‘जब तक एनएसएफ खेल संहिता का पालन नहीं करते हम अस्थायी प्रणाली को बनाये रखने की अनुमति नहीं देंगे। एनएसएफ से कहो कि वे अपनी व्यवस्था में सुधार करें। ’’

पीठ ने यह टिप्पणी खेल मंत्रालय की उस आवेदन पर सुनवाई करते हुए की जिसमें 57 राष्ट्रीय खेल फेडरेशन को अस्थायी मान्यता प्रदान करने की अनुमति देने का आग्रह किया गया था ताकि वे अगले साल होने वाले ओलंपिक के लिये खिलाड़ियों के अभ्यास की व्यवस्था कर सकें।

पीठ ने हालांकि अधिवक्ता राहुल मेहरा को नोटिस जारी किया और 2010 से लंबित उनकी याचिका में दायर इस आवेदन पर उनका पक्ष जानना चाहा। यह याचिका विभिन्न खेल संस्थाओं की जांच के लिये दायर की गयी थी। राहुल मेहरा की याचिका पर ही उच्च न्यायालय ने पूर्व में निर्देश दिया था कि सभी एनएसएफ को राष्ट्रीय खेल संहिता का पालन करना होगा। उच्च न्यायालय ने मेहरा को अपने हलफनामे में यह भी बताने का निर्देश दिया कि 57 एनएसएफ में से कौन कौन खेल संहिता का पालन कर रहे हैं और कौन नहीं, ताकि उन फेडरेशन को अस्थायी मान्यता दी जा सके जो संहिता का पालन कर रहे हैं।

मंत्रालय की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने पीठ से ओलंपिक सहित अगले कुछ महीनों में होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं को देखते हुए एनएसएफ को अस्थायी मान्यता प्रदान के करने के लिये अंतरिम आदेश देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे एनएसएफ विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिये खिलाड़ियों को तैयार कर पाएंगे। पीठ ने हालांकि कहा कि वह दूसरे पक्ष की बात सुने बिना आदेश नहीं देगी।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि जब इस साल जनवरी में मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू हुई तो मंत्रालय उसके समक्ष नहीं आया और अब वह तत्काल अंतरिम आदेश के लिये नहीं कह सकता है। पीठ ने मेहरा को जवाब देने के लिये तीन सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई सात अगस्त को सूचीबद्ध की। उच्च न्यायालय ने 24 जून को एनएसएफ की वार्षिक मान्यता का अस्थायी नवीनीकरण करने के खेल मंत्रालय के दो जून के फैसले पर रोक लगा दी थी और यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये थे।

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पीठ ने तब कहा था कि मंत्रालय ने यह फैसला करके उच्च न्यायालय के सात फरवरी में दिये गये आदेश का उल्लंघन किया। भले ही यह अस्थायी हो लेकिन इसके लिये उसने अदालत से संपर्क नहीं किया और उसकी अनुमति नहीं ली। अदालत ने सात फरवरी को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और खेल मंत्रालय को निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय महासंघों के संबंध में कोई भी फैसला लेने से पहले अदालत को सूचित किया जाये।