A
Hindi News खेल अन्य खेल Tokyo Olympics 2020 : ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद हॉकी टीम की 'दीवार' श्रीजेश ने कहा, 'यह पुनर्जन्म है'

Tokyo Olympics 2020 : ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद हॉकी टीम की 'दीवार' श्रीजेश ने कहा, 'यह पुनर्जन्म है'

  पूरे ओलंपिक में श्रीजेश ने कई मौकों पर भारतीय टीम के लिये संकटमोचक की भूमिका निभाई।

Tokyo Olympics 2020, bronze medal, Indian hockey team, Sreejesh- India TV Hindi Image Source : GETTY Sreejesh

ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता भारतीय हॉकी टीम की जीत के सूत्रधारों में रहे गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने कहा,‘‘ यह पुनर्जन्म है’’। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस जीत से आने वाली पीढी में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी पैदा होंगे। भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 

हूटर से छह सेकंड पहले पेनल्टी रोकने वाले श्रीजेश ने जीत के बाद कहा ,‘‘41 साल हो गए। आखिरी पदक 1980 में मिला था। उसके बाद कुछ नहीं। आज हमने पदक जीत लिया जिससे युवा खिलाड़ियों को हॉकी खेलने की प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी।’’ 

यह भी पढ़ें- Tokyo Olympics : ब्रॉन्ज मेडल विजेता टीम में शामिल पंजाब के प्रत्येक खिलाड़ी को राज्य सरकार देगी 1 करोड़ का इनाम

उन्होंने कहा ,‘‘यह खूबसूरत खेल है। हमने युवाओं को हॉकी खेलने का एक कारण दिया है। ’’ जीत के बाद भारतीय खिलाड़ी जहां रोते हुए एक दूसरे को गले लगा रहे थे, वहीं श्रीजेश गोलपोस्ट पर बैठ गए थे। पिछले 21 साल से इस दिन का इंतजार कर रहे 35 वर्ष के श्रीजेश के लिये शायद यह पदक जीतने का आखिरी मौका था। 

उन्होंने कहा ,‘‘ मैं आज हर बात के लिये तैयार था क्योंकि यह 60 मिनट सबसे महत्वपूर्ण थे। मैं 21 साल से हॉकी खेल रहा हूं और मैने खुद से इतना ही कहा कि 21 साल का अनुभव इस 60 मिनट में दिखा दो।’’ आखिरी पेनल्टी के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘मैने खुद से इतना ही कहा कि तुम 21 साल से खेल रहे हो और अभी तुम्हे यही करना है। एक पेनल्टी बचानी है।’’ 

पूरे ओलंपिक में श्रीजेश ने कई मौकों पर भारतीय टीम के लिये संकटमोचक की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी प्राथमिकता गोल होने से रोकना है। इसके बाद दूसरा काम सीनियर खिलाड़ी होने के नाते टीम का हौसला बढाना है। मुझे लगता है कि मैने अपना काम अच्छे से किया।’’ 

यह भी पढ़ें- Tokyo Olympics 2020 : भारत की जीत को कप्तान मनप्रीत सिंह ने देश के स्वास्थ्यकर्मियों को किया समर्पित

उन्होंने कहा कि जीत का खुमार अभी उतरा नहीं है और शायद घर लौटने के बाद ही वह स्थिर होंगे। मैच के बाद उन्होंने अपने पिता को वीडियो कॉल किया। 

उन्होंने कहा ,‘‘ मैने सिर्फ उन्हें फोन किया क्योंकि मेरे यहां तक पहुंचने का कारण वही है। मैं उन्हें बताना चाहता था कि हमने पदक जीत लिया है और मेरा पदक उनके लिये है।’’ दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह ने कहा ,‘‘ यह मेरा सपना था और अब मैं इसे कभी नहीं भूल सकूंगा। मैं ये गोल करने के सपने देखता आया था जो आज सच हो गए।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ हमने पदक जीतकर 130 करोड़ भारतीयों को गर्व करने का मौका दिया। यह कभी नहीं भूलने वाला अनुभव है। हम आगे भी इस लय को जारी रखने की कोशिश करेंगे।’’