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रेलवे ट्रैक पर हाथियों की रक्षा करेगा 'गजराज' भारतीय रेलवे ने उठाया बड़ा कदम

देश के कई हिस्सों से अक्सर रेलवे ट्रैक पर हाथियों के एक्सीडेंट और उनकी मौत की घटनाएं सामने आती रहती है। अब इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इंडियन रेलवे ने एक नई तकनीक विकसित की है जो हाथियों की रक्षा करेगा। रेलवे इस तकनीक करीब 700 किलोमीटर के दायरे पर इंस्टाल करेगी।

indian railway, railway track, elephants, gajraj system, bullet train, railway minister ashwini vais- India TV Hindi Image Source : फाइल फोटो इंडियन रेलवे ट्रैक पर लगाएगी एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर।

Indian Railway AI Software Gajraj: देशभर के अलग अलग शहरों से कई बार रेलवे ट्रैक पर हाथियों के एक्सिडेंट की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जिन राज्यों में हाथियों की संख्या अधिक है वहां से ऐसी घटनाएं अधिक सामने आती है। रेलवे ट्रैक पर एक्सिडेंट से हाथियों की मौत को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने एक नई तकनीक विकसित की है। रेलवे की तरफ से एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है जो हाथियों के एक्सिडेंट को रोकने का काम करेगा। 

भारतीय रेलवे ने हाथियों के एक्सिडेंट की घटनाओं में लगाम लगाने के मकसद से एक आर्टिफिशियल बेस्ड सॉफ्टवेयर तैयार किया है। रेलवे ने इस सॉफ्टवेयर को 'गजराज' नाम दिया है। रेलवे ने इस एआई सॉफ्टवेयर को इंस्टाल करने का भी काम शुरू कर दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह गजराज सिस्टम ठीक उसी तरह से काम करेगा जैसे कवच सिस्टम काम करता है। 

हर साल करीब 20 हाथियों की होती है मौत

आपको बता दें कि भारत में कई जगहें ऐसी हैं जहां पर हाथियों की आबाद काफी ज्यादा है। ऐसी जगहों से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर कई बार हाथी भी पहुंच जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 20 हाथियों की हर साल रेलवे ट्रैक पर एक्सीडेंट से मौत हो जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब रेलवे ने AI सॉफ्टवेयर गजराज तैयार किया है। 

700 किलोमीटर में लगाया जाएगा सॉफ्टवेयर

रेल मंत्री ने बताया कि ट्रेन एक्सीडेंट से हाथियों की रक्षा के लिए कवच प्रणाली की ही तरह गजराज को तैयार किया गया है। इस एआई सॉफ्टवेयर को असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, तमिलनाडु, केरल  और झारखंड में करीब 700 किलोमीटर पर इसे इंस्टाल किया जाएगा। 

इस तरह से काम करेगा गजराज

उन्होंने बताया कि गजराज सॉफ्टवेयर  को ओएफसी लाइन पर सेंसर के सहारे सेट किया जाएगा। यह सॉफ्टवेयर 200 मीटर की दूरी से हाथियों के पैरों के चलने की तरंगों को पहचान कर लोकोपायलट को अलार्म देगी। अलार्म बचते ही लोकोपायलट यह समझ जाएगा कि ट्रैक पर या फिर उसके पास हाथी हैं और उसे ट्रेन की स्पीड को धीमा करने का मौका मिल जाएगा।

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