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तेलंगाना: पूर्व विधायक श्रीशैलम गौड़ ने छोड़ी भाजपा, कांग्रेस का थामा हाथ

तेलंगाना के पूर्व विधायक कुना श्रीशैलम गौड़ ने आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़ दी। बीजेपी छोड़कर श्रीशैलम गौड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। पूर्व विधायक गौड़ को सीएम रेवंत रेड्डी ने पार्टी में शामिल कराया है।

Kuna Srisailam Gaur- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO पूर्व विधायक कुना श्रीशैलम गौड़

लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। खबर है कि पूर्व विधायक कुना श्रीशैलम गौड़ ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। श्रीशैलम गौड़ ने हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष ए रेवंत रेड्डी, तेलंगाना मामलों की अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) प्रभारी दीपा दासमुंशी और अन्य नेताओं की उपस्थिति में कांग्रेस की सदस्यता गृहण की। 

2021 में हुए थे भाजपा में शामिल

पूर्व विधायक कुना श्रीशैलम गौड़ के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने साल 2009 में निर्दलीय के रूप में कुतबुल्लापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। गौड़ ने पिछले साल नवंबर में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गए थे। कुना श्रीशैलम गौड़ 2021 में भाजपा में शामिल हुए थे। बता दें कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हाल के हफ्तों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और अन्य दलों के कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं। 

BRS के श्रीहरि भी कांग्रेस में शामिल

गौरतलब है कि इससे करीब 5 दिन पहले ही तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) के मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री के.श्रीहरि और उनकी बेटी के. काव्या मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। कांग्रेस नेताओं ने पहले भी श्रीहरि को पार्टी में शामिल होने के लिए न्योता दिया था। श्रीहरि ने कहा था कि विभिन्न कारणों से लोग बीआरएस से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए लोगों की सेवा करने और निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ करने के वास्ते वह कोई फैसला (कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर) लेंगे।’’ वहीं उनकी बेटी काव्या ने पूर्ववर्ती के.चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और फोन टैपिंग के हालिया आरोपों का हवाला देते हुए पार्टी छोड़ने के अपने फैसले का ऐलान किया। बीआरएस ने काव्या को वारंगल सीट से उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने कहा था कि आरोपों से पार्टी की प्रतिष्ठा कम हुई है।