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Hindi News उत्तर प्रदेश सपा नेताओं की नाराजगी कम नहीं हो रही, अब रेवती रमण सिंह छोड़ सकते हैं अखिलेश का साथ

सपा नेताओं की नाराजगी कम नहीं हो रही, अब रेवती रमण सिंह छोड़ सकते हैं अखिलेश का साथ

समाजवादी पार्टी में अंदरखाने नेताओं की नाराजगी बढ़ती जा रही है। अब पार्टी के कद्दावर नेता रेवती रमण सिंह भी पार्टी छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

Revati Raman singh, Samajwadi party- India TV Hindi Image Source : INDIA TV रेवती रमण सिंह, पूर्व सांसद

प्रयागराज: समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के प्रति नेताओं की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य,मनोज पांडे, सलीम शेरवानी के बाद अब पार्टी के सीनियर नेता रेवती रमण सिंह भी समाजवादी पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। जानकारी के मुताबिक अगले कुछ दिनों में उनके पार्टी छोड़ने का औपचारिक ऐलान हो सकता है। रेवती रमण सिंह तीन बार सांसद और सात बार विधायक रह चुके हैं।

पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं रेवती रमण सिंह

रेवती रमण सिंह मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। वे समाजवादी पार्टी के महासचिव और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं। रेवती रमण के बेटे उज्जवल रमण सिंह समाजवादी पार्टी में हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। अखिलेश ने पहले रेवती रमण सिंह को महासचिव पद से हटाया और बाद में उन्हें राज्यसभा चुनाव में टिकट भी नहीं दिया। इसके बाद रेवती रमण सिंह इलाहाबाद लोकसभा सीट से अपने बेटे उज्जवल रमण सिंह को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में थे लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के समझौते ने इस उम्मीद पर भी पानी फेर दिया।

सूत्रों के मुताबिक रेवती रमण सिंह अखिलेश यादव से बेहद नाराज चल रहे हैं और पार्टी छोड़ने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि अगले एक से दो हफ्तों में वे पार्टी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। हालांकि नए सियासी ठिकाने को लेकर अभी कुछ भी तय नहीं है।

इलाहाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं उज्जवल रमण

रेवती रमण सिंह के समर्थकों का दावा है कि उनके बेटे उज्जवल रमण सिंह लोकसभा का चुनाव जरूर लड़ेंगे। उज्जवल रमण जिस इलाहाबाद की सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं वहीं से बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी सांसद हैं। बीजेपी में शामिल होने में यह एक बड़ा पेंच है। वहीं कांग्रेस की ओर से परिवार को पूरा सम्मान देने की बात कही गई है लेकिन अखिलेश यादव से समझौता होने के बाद अब शायद कांग्रेस इस तरह का रिस्क नहीं उठाना चाहेगी। इस बीच रेवती रमण के करीबी माने जानेवाले कई नेता पिछले दिनों बीजेपी में शामिल हुए हैं। रेवती रमण के करीबियों के दल बदल ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।