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म्यांमार की सेना ने पार की हैवानियत की हद? वायरल हो रहीं जले हुए लोगों की तस्वीरें

मंगलवार को हमले के बाद सोशल मीडिया पर आए वीडियो में 11 ग्रामीणों के जले हुए शव दिख रहे हैं।

Myanmar Soldiers, Myanmar Army, Myanmar Soldiers Villagers, Myanmar Army Villagers- India TV Hindi Image Source : AP REPRESENTATIONAL म्यांमार के उत्तर-पश्चिम हिस्से में सरकारी सैनिकों ने सेना के एक काफिले पर हमले के प्रतिशोध में एक गांव पर छापेमारी की।

Highlights

  • सैनिकों ने एक गांव पर छापेमारी की, कुछ लोगों को पकड़ा, उनके हाथ बांध दिए और फिर उन्हें जिंदा जला दिया।
  • सगाइंग क्षेत्र के डोने ताव गांव में जले हुए शवों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं।
  • कहा जा रहा है कि ग्रामीणों की हत्या कर उन्हें आग के हवाले करने के तुरंत बाद ही उन तस्वीरों को लिया गया था।

बैंकॉक: म्यांमार के उत्तर-पश्चिम हिस्से में सरकारी सैनिकों ने सेना के एक काफिले पर हमले के प्रतिशोध में एक गांव पर छापेमारी की, कुछ लोगों को पकड़ा, उनके हाथ बांध दिए और फिर उन्हें जिंदा जला दिया। यह जानकारी प्रत्यक्षदर्शियों और कुछ अन्य खबरों में दी गई है। सगाइंग क्षेत्र के डोने ताव गांव में जले हुए शवों की तस्वीरें और वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। ऐसा कहा जा रहा है कि ग्रामीणों की हत्या कर उन्हें आग के हवाले करने के तुरंत बाद ही उन तस्वीरों को लिया गया था। हालांकि, अभी तक इन तस्वीरों और वीडियो की कोई पुष्टि नहीं हुई है।

सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि इलाके में उसके सैनिक थे
मंगलवार को हमले के बाद सोशल मीडिया पर आए वीडियो में 11 ग्रामीणों के जले हुए शव दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि इनमें कुछ किशोर भी थे। समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को एक व्यक्ति ने बताया कि वह घटनास्थल पर गया था और वहां वैसा ही नजारा था, जैसा कि स्वतंत्र म्यांमार मीडिया द्वारा बताया गया है। सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि इलाके में उसके सैनिक थे। डोने ताव इलाके में हत्या की घटना की म्यांमार की भूमिगत नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट ने निंदा की है। यह संगठन सैन्य सरकार के स्थान पर खुद को देश की वैकल्पिक सरकार बताता है।

‘सैन्य काफिले पर सड़क किनारे बम से हमला हुआ था’
संगठन के प्रवक्ता सासा ने कहा कि सैन्य काफिले पर सड़क किनारे बम से हमला हुआ था और सैनिकों ने डोने ताव में पहले गोलीबारी कर, फिर गांव पर हमला कर और फिर जो भी सामने आया उसे पकड़कर बदला लिया। उन्होंने बताया कि मारे गए लोगों की उम्र 14 वर्ष से 40 वर्ष के बीच थी। यदि इस घटना की पुष्टि हो जाती है, तो यह फरवरी में आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को बेदखल कर सेना के सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने के बाद से देश में हो रही हिंसक कार्रवाई का एक और उदाहरण होगा।

‘उन्होंने 11 मासूम ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया था’
तख्तापलट के बाद शुरुआत में सड़कों पर अहिंसक प्रदर्शन किए जा रहे थे, लेकिन पुलिस तथा सैनिकों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर भीषण बल का इस्तेमाल करने और सैन्य शासन के विरोधियों के आत्मरक्षा के लिए हथियार उठाने से हिंसा भड़क गई। चश्मदीद ने ‘एपी’ को बताया कि करीब 50 सैनिक मंगलवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे गांव पहुंचे और हर उस शख्स को उन्होंने पकड़ लिया, जो वहां से भागने में असफल रहा। खुद को किसान बताने वाले चश्मदीद ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘उन्होंने 11 मासूम ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया था।’

‘सैनिकों के हमले का कोई कारण नहीं बताया’
चश्मदीद ने बताया कि पकड़े गए लोग स्थानीय रूप से संगठित ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के सदस्य नहीं थे, जिसकी कई बार सैनिकों से झड़प हुई है। चश्मदीद ने बताया कि पकड़े गए लोगों के हाथ बांध दिए गए और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। उसने सैनिकों के हमले का कोई कारण नहीं बताया। हालांकि, म्यांमार मीडिया में कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सेना ने उस दिन सुबह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के सदस्यों द्वारा किए गए हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की। म्यांमार की मीडिया ने अन्य चश्मदीदों के हवाले से बताया कि ग्रामीण, रक्षा बल के सदस्य थे।

‘विश्वसनीय रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए उन लोगों में 5 बच्चे थे’
हालांकि ‘एपी’ से बात करने वाले एक चश्मदीद ने उन्हें कम औपचारिक रूप से संगठित ग्राम संरक्षण समूह का सदस्य बताया। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने ‘11 लोगों की बर्बर हत्या’ की खबर को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ‘विश्वसनीय रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए उन लोगों में 5 बच्चे थे।’ दुजारिक ने म्यांमार के सैन्य अधिकारियों को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनके दायित्वों की याद दिलाई और ‘इस जघन्य कृत्य के लिए’ जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने को कहा।

‘संयुक्त राष्ट्र म्यांमार के सुरक्षा बलों की हिंसा की निंदा करता है’
दुजारिक ने दोहराया कि संयुक्त राष्ट्र म्यांमार के सुरक्षा बलों की हिंसा की निंदा करता है और उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

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