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Hindi News विदेश एशिया गलवान और तवांग में सैनिक संघर्ष के बाद पहली बार चीन के विदेश मंत्री आ रहे भारत, जानें क्या है मकसद?

गलवान और तवांग में सैनिक संघर्ष के बाद पहली बार चीन के विदेश मंत्री आ रहे भारत, जानें क्या है मकसद?

जून 2020 में गलवान घाटी हिंसा और फिर नवंबर 2022 में तवांग में भारतीय सैनिकों से हिंसक झड़प के बाद चीन के विदेश मंत्री अपनी पहली यात्रा पर भारत आ रहे हैं। विदेश मंत्री किन गांग इस सप्ताह भारत की पहुंचेंगे। इसके बाद वह 2 मार्च को जी-20 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा भी लेंगे।

किन कांग, चीन के विदेश मंत्री- India TV Hindi Image Source : FILE किन कांग, चीन के विदेश मंत्री

 नई दिल्लीः जून 2020 में गलवान घाटी हिंसा और फिर नवंबर 2022 में तवांग में भारतीय सैनिकों से हिंसक झड़प के बाद चीन के विदेश मंत्री अपनी पहली यात्रा पर भारत आ रहे हैं। विदेश मंत्री किन गांग इस सप्ताह भारत की पहुंचेंगे। इसके बाद वह 2 मार्च को जी-20 समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा भी लेंगे। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। वर्ष 2019 में सीमा तंत्र के विषय पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में शामिल होने के लिए पूर्ववर्ती वांग यी की नयी दिल्ली की यात्रा के बाद किसी चीनी विदेश मंत्री की यह पहली भारत की यात्रा होगी।

जयशंकर ने भेजा था जी-20 के लिए निमंत्रण
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री किन गांग को जी 20 में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा था। वह दो मार्च को नई दिल्ली में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध होने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में लगभग शिथिलता आ गई है। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों ने सैन्य कमांडर स्तर की 17 उच्च स्तरीय वार्ता की है। भारत का कहना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। भारत ने पिछले साल एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता संभाली। जी-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और दुनिया की आबादी के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है तथा यूरोपीय संघ भी इसका हिस्सा है।

क्या वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य होंगे हालात
भारत और चीन के बीच जून 2020 से ही सीमा पर नाजुक हालात बने हैं। चीन के विदेश मंत्री किन गांग का यह सामान्य दौरा नहीं है, बल्कि वह जी 20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उनकी इस यात्रा से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उपजे तनाव में कमी आने की कोई उम्मीद नहीं है। अभी यह भी तय नहीं है कि एलएसी तनाव के लेकर भारत के साथ उनकी कोई बातचीत होगी। अभी तक सीमारेखा पर तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच 17 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन बैठकें बेनतीजा रही हैं। देखना होगा की जी 20 की बैठक के दौरान क्या चीन के रुख में कोई बदलाव आएगा या फिर तनाव कायम रहेगा?

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