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बाइक टैक्सी लीगल है या नहीं, सड़क परिवहन मंत्रालय ने दिया ये स्पष्टीकरण

मंत्रालय ने बाइक टैक्सी पर राज्यों को जारी एक सलाह में कहा है कि कुछ राज्य और केंद्रशासित प्रदेश परमिट के लिए दाखिल एप्लीकेशन पर कार्रवाई करते समय मोटरसाइकिल को ‘कॉन्ट्रैक्ट कैरिज’ होने को लेकर विचार कर रहे हैं।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: February 15, 2024 21:44 IST
ओला, ऊबर और रैपिडो सहित अन्य कंपनियां भारत में बाइक टैक्सी सर्विस उपलब्ध कराती हैं।- India TV Paisa
Photo:FILE ओला, ऊबर और रैपिडो सहित अन्य कंपनियां भारत में बाइक टैक्सी सर्विस उपलब्ध कराती हैं।

आप जो बाइक टैक्सी लेते हैं, वह कानूनी तौर पर सही है या नहीं इसपर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कानूनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मंत्रालय ने गुरुवार को इसको क्लियर करते हुए बताया कि मोटरसाइकिल या बाइक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत ‘कॉन्ट्रैक्ट कैरिज’ की परिभाषा में आती हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, मोटर वाहन अधिनियम के हिसाब से,बाइक एक विशिष्ट समझौते के तहत यात्रियों को किराये पर ले जाने वाला वाहन है। यानी मंत्रालय की तरफ से बाइक टैक्सी को कानूनन सही बताया गया है। 

क्या है प्रावधान

खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने बाइक टैक्सी पर राज्यों को जारी एक सलाह में कहा है कि कुछ राज्य और केंद्रशासित प्रदेश परमिट के लिए दाखिल एप्लीकेशन पर कार्रवाई करते समय मोटरसाइकिल को ‘कॉन्ट्रैक्ट कैरिज’ होने को लेकर विचार कर रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 2(28) के मुताबिक 25 सीसी से ज्यादा इंजन क्षमता वाले चार पहियों से छोटे वाहन भी मोटर वाहनों की परिभाषा में आते हैं। यानी मोटरसाइकिल भी अधिनियम की धारा 2(7) के तहत इस दायरे में आएंगी। 

एप्लीकेशन स्वीकार करने की सलाह

कॉन्ट्रैक्ट कैरिज समझौते का मतलब किसी रूट पर या उसके बगैर उस वाहन को दूरी या समय के आधार पर एक निश्चित कीमत पर किराये पर लेना है। इस स्थिति में मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दिया है कि वे मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक मोटरसाइकिलों के लिए कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट के लिए एप्लीकेशन स्वीकार करें और उन पर कार्रवाई करें। भारत में ओला, ऊबर, रैपिडो जैसी ऐप बेस्ड कंपनियां शहरों में बाइक टैक्सी की सर्विस उपलब्ध कराती हैं। इसका मार्केट भी भारत में लगातार बढ़ रहा है। इस सर्विस ने शहरों में रोजगार को भी बढ़ावा देने में अहम योगदान दे रहे हैं। 

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