Tuesday, April 30, 2024
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अब आम बजट के साथ पेश होगा रेल बजट, 92 साल के बाद बदली परंपरा

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया गया है। सन 1924 के बाद साथ मिलाया गया है।

Ankit Tyagi Ankit Tyagi
Updated on: September 21, 2016 14:36 IST
नई दिल्ली। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में ऐतिहासिक फैसला लिया है। जिसके तहत रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया गया है। सन 1924 के बाद रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाया गया है। इसके अलावा कैबिनेट में बजट जनवरी के अंत में पेश करने को भी सैद्धांतिक  मंजूरी मिल गई है। अब तक आम बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता रहा है।

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आम बजट से पहले रेल बजट पेश करने की परंपरा खत्म

  • सन 1924 से अब तक यानी 91 सालों से आम बजट से पहले रेल बजट पेश होता आया है।
  • अब अगले साल 2017 से सिर्फ आम बजट ही संसद में पेश होगा।
  • रेल मंत्रालय का वित्तीय लेखा जोखा भी आम बजट का उसी तरह से हिस्सा होगा, जैसे दूसरे मंत्रालय के लिए होता है।
  • नीति आयोग के प्रस्ताव पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने अपनी मंजूरी पहले ही दे दी थी।
  • अभी भी इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी इसको भी तय किया जाना बाकी है और दोनो मंत्रालयों के अधिकारों का बटंवारा बाकी है।
  • वित्त मंत्रालय ही अब रेल मंत्रालय का बजट तय करेगा।
  • वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय के बीच पेंशन की देनदारी, डिविडेंड, रेलवे को वित्त मंत्रालय से मिलने वाले ग्रॉस बजटीय सहायता और किराया तय करने का अधिकार जैसे मसलों पर अभी अतिम फैसला होना बाकी है।
  • रेल बजट के आम बजट में विलय के बाद रेलवे को केंद्र सरकार को डिविडेंड का भुगतान भी नहीं करेगा।

वित्त मंत्री और रेल मंत्री ने क्या कहा

  • फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा, “रेल बजट को आम बजट के साथ पेश किया जाएगा। रेलवे की फंक्शनल ऑटोनॉमी बनी रहे, इस बात का ध्यान रखा जाएगा।”आम बजट में रेल का एक्सपेंडीचर और नॉन-एक्सपेंडीचर खर्च का ब्योरा होगा।
  • रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, ‘रेलवे को इससे क्या फायदा होगा, इसको देखते हुए फैसला लिया गया है कि आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश किया जाएगा।’

रेलवे के पास रहेंगे ये अधिकार

  • आम बजट के साथ रेल बजट को मिलाने के बावजूद रेल मंत्रालय की ऑटोनॉमी बरकार रखी जा सकती है।
  • चाहे नई ट्रेन चलाने की हो या फिर नई सुविधाएं देने की इसका फैसला रेल मंत्रालय ही करता रहेगा।

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जानिए रेलवे से जुड़े रोचक तथ्‍य

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क्यों जरूरी था ये फैसला

  • इस कवायद का मकसद रेलवे के कामकाज में सुधार लाकर उसे ज्यादा कारगर बनाना है।
  • बजट को आम बजट में मिलाने से कैश की दिक्कत का सामना कर रहे रेलवे को 10,000 करोड़ रुपए की बचत होगी क्योंकि तब उसे केंद्र को प्रॉफिट शेयर नहीं लौटाना पड़ेगा।
  • बता दें कि ब्रिटिश शासनकाल में 1924 में रेल बजट को जनरल बजट से अलग किया गया था। तर्क ये दिया गया है कि मर्ज किया हुआ बजट पेश करने से रेलवे की दिक्कतें दूर नहीं हो पा रही हैं।
  • इससे पहले, बजट के मर्जर पर विचार करने के लिए बने बिबेक देबरॉय पैनल ने अपने नोट में कहा था, “रेल बजट सिर्फ पॉपुलर मेजर्स का जरिया बन गया है। नई ट्रेन चलाना, नए रूट्स बनाना और नई फैक्ट्रीज बनाने के अनाउंसमेंट्स किए जाते हैं लेकिन रेलवे के स्ट्रक्चर को लेकर कुछ नहीं किया जाता।’’

आप पर क्या होगा असर

रेल बजट के आम बजट में मर्जर से आर्थिक घाटे में चल रही रेलवे हर साल करीब 10 हजार करोड़ रुपए बचा सकेगी। साथ ही भारतीय रेलवे को डिविडेंड देने से मुक्ति मिल जाएगी। इससे रेलवे के पास ज्यादा बड़ी रकम रहेगी। इस रकम का इस्तेमाल रेलवे आधुनीकिरण पर करेगा और विस्तार पर होगा। इससे आम आदमी को किराए में बढ़ोत्तरी और बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगी।

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