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रोक लगाने के बाद भी चीन से नहीं रुक रहा है पटाखों का आयात, 8 लाख लोगों की रोजी-रोटी पर लटकी तलवार

भारत सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद चीन से पटाखों का आयात निरंतर जारी है, ऐसे में भारतीय पटाखा उद्योग से जुड़े 8 लाख लोगों के रोजगार पर चिंता के बादल मंडरा रहे हैं।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 22, 2018 17:25 IST
china crackers- India TV Paisa
Photo:CHINA CRACKERS

china crackers

नई दिल्‍ली। भारत सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद चीन से पटाखों का आयात निरंतर जारी है, ऐसे में भारतीय पटाखा उद्योग से जुड़े 8 लाख लोगों के रोजगार पर चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। संसद की एक समिति ने रोक के बावजूद चीन से चोरी-छिपे पटाखों के आयात पर चिंता जताते हुए बंदरगाह और सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने का सुझाव दिया है। समिति ने पटाखा उद्योग के लिए माल एवं सेवाकर (जीएसटी) ढांचे की समीक्षा पर भी जोर दिया है। 

वाणिज्य पर संसद की विभाग संबंधी स्थायी समिति की भारतीय उद्योग पर चीनी उत्पादों के प्रभाव संबंधी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पटाखा उद्योग तमिलनाडु के शिवकाशी में स्थित है। आज यह एक प्रमुख औद्योगिक हब में बदल चुका है। फिलहाल शिवकाशी में 850 कारखाने हैं, जिनमे आठ लाख लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। घरेलू पटाखा उद्योग करीब 4,000 करोड़ रुपए का है।

नरेश गुजराल की अध्यक्षता वाली समिति ने सरकार से पटाखा उद्योग पर लागू जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने को कहा है। समिति ने कहा है कि श्रमिकोन्मुखी उद्योग होने के बावजूद इस पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। उद्योग को केवल कच्चे माल पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है, जबकि यह उसकी कुल उत्पादन लागत में 35 प्रतिशत हिस्सा है। शेष 65 प्रतिशत में वेतन, प्रशासनिक खर्च और मुनाफा मार्जिन शामिल है, जिसपर कोई टैक्स क्रेडिट नहीं मिलता है। समिति ने पटाखा उद्योग के लिए जीएसटी ढांचे को तर्कसंगत बनाने की इच्छा व्यक्त की है। 

समिति ने कहा कि चीन से आयातित पटाखों से स्वास्थ्य संबंधी चिंता भी बनी है। चीन के पटाखों में पोटैशियम क्लोरेट का इस्तेमाल होता है जो भारत में प्रतिबंधित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने चीन से पटाखों के आयात पर रोक लगाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कोई लाइसेंस नहीं दिया है। इसके बावजूद देश में चीन से पटाखों का आयात रुक नहीं पाया है। 

समिति ने सुझाव दिया है कि सीमा शुल्क विभाग को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले चीनी पटाखों को देश में आने से रोकने के लिए समुचित उपाय करने चाहिए। समिति ने कहा कि बंदरगाहों और सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने के अलावा पर्याप्त ढांचा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। सीमा शुल्क विभाग और डीआरआई इकाइयों को कंटेनर स्कैनर जैसी प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। समिति ने कहा है कि सभी छोटे बड़े बंदरगाहों पर कंटेनर स्कैनर लगाए जाने चाहिए। 

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