चीन से आयात पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से भारत को अमेरिका में निर्यात के बड़े अवसर मिलते हैं। बढ़े टैरिफ चीन से अमेरिका को निर्यात को प्रभावित करेंगे क्योंकि इससे अमेरिकी बाजार में उनके सामान की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया था। हालांकि, ट्रंप ने मेक्सिको, कनाडा को राहत देते हुए अपने फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है।
जून 2020 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद शीन उन ऐप में से एक था जिस पर प्रतिबंध लगा दिया था। सिंगापुर में स्थित यह ब्रांड भारत में अपने ऐप और ऑनलाइन स्टोर के जरिये किफायती फैशन प्रोडक्ट्स ऑफर करता है।
चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो का कहना है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था आम तौर पर स्थिर रही, जिसमें लगातार प्रगति हुई। हाई क्वालिटी वाले विकास में नई उपलब्धियां हासिल हुईं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था से 2025 में मजबूत वृद्धि की उम्मीद है, और दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में भी मजबूत वृद्धि बनाए रखने की उम्मीद है। दक्षिण एशिया में स्थिति बेहतर बनी हुई है, जहां 61 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2025 में मजबूत या बहुत मजबूत विकास की उम्मीद जताई है।
चीन ने भारत को कुछ महत्वपूर्ण कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
यह अनुमान से अधिक है। अर्थशास्त्रियों ने पहले अनुमान लगाया था कि इसमें लगभग 7% की वृद्धि होगी। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पदभार ग्रहण करने के बाद नया टैरिफ लागू करने की धमकी दी है।
शेयर बाजार में आज के इस महाविनाश की पहली और सबसे बड़ी वजह चीनी वायरस HMPV है। सोमवार को भारत में इस वायरस के 3 मामलों की पुष्टि भी हो चुकी है। शुरुआती दो मामले कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू से आए जबकि तीसरा केस गुजरात के अहमदाबाद से सामने आया है।
अधिक गहराई पर अतिरिक्त भंडार मौजूद हैं, जो करीब 3 किलोमीटर तक पहुंच सकते हैं। यह खोज चीन की खनन और आर्थिक क्षमताओं को बढ़ावा दे सकता है।
ट्रंप ने कहा कि मैंने चीन के साथ भारी मात्रा में ड्रग्स, खासतौर से फेंटेनाइल, को अमेरिका में भेजे जाने के बारे में कई बार बातचीत की है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहां तक कि वादों के विपरीत, बीजिंग ने ऐसे ड्रग डीलरों पर मृत्युदंड नहीं लगाया।
मूडीज ने कहा, ‘‘अमेरिकी नीति में इस बदलाव से भारत और आसियान देशों को फायदा हो सकता है। अमेरिका-चीन के बीच लगातार ध्रुवीकरण से क्षेत्र में भू-राजनीतिक बंटवारा बढ़ने का भी खतरा है जो सेमीकंडक्टर की ग्लोबल सप्लाई में खलल डाल सकता है।’’
बोतलबंद पानी ‘नोंगफू स्प्रिंग’ के दिग्गज झोंग शानशान 2024 में 47.9 अरब अमेरिकी डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर खिसक गए। फरवरी में उनके ब्रांड ‘नोंगफू स्प्रिंग’ को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा।
सरकार ने आइसोप्रोपिल अल्कोहल पर विभिन्न चीनी फर्मों पर 82 अमेरिकी डॉलर प्रति टन और 217 अमेरिकी डॉलर प्रति टन शुल्क लगाया है, जिसका चिकित्सा और औद्योगिक उपयोग है।
मैक्वेरी ने इसमें कहा है कि चीन द्वारा की गई प्रोत्साहन पहल निवेशकों को आकर्षित कर सकती है। इसके साथ ही, ऐसी भी संभावनाएं हैं कि इस तरह की और घोषणाएं चीनी शेयरों को बढ़ावा दे सकती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए भारत का दबदबा बना रहेगा।
चीन को निर्यात आलोच्य अवधि में बढ़कर 6.91 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले 2023-24 में अप्रैल-सितंबर के दौरान 7.63 अरब डॉलर था। अमेरिका 2023-24 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
शंघाई और शेनझेन बाजारों में कारोबार करने वाले शीर्ष 300 शेयरों पर नज़र रखने वाले सीएसआई300 इंडेक्स में 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई। चीनी शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि बाजार अब आधे-अधूरे वादों को नहीं खरीद रहा है।
चीनी सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की और बैंकिंग सिस्टम में 143 अरब डॉलर की पूंजी देने का ऐलान किया। सेंट्रल बैंक ने सूचीबद्ध फर्मों के लिए अपने शेयर वापस खरीदना भी आसान बना दिया।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 30 जुलाई को कहा था कि सरकार चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को समर्थन देने पर कोई पुनर्विचार नहीं कर रही है।
अगस्त 2024 में अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सिंगापुर, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, नेपाल, बेल्जियम और तुर्की को होने वाले निर्यात में भी गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान यूएई, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड, वियतनाम और ताइवान से आयात में बढ़ोतरी हुई है।
चीन अपने यहां घटती आबादी से परेशान है। वहां बड़ी संख्या में लोग बूढ़े हो रहे हैं, इससे सरकार पर पेंशन का बोझ बढ़ रहा है।
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