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चीनी कंपनियां क्यों बना रही हैं अपनी प्राइवेट आर्मी, आखिर क्या है माजरा?

पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेस डिपार्टमेंट के नाम से जानी जाने वाली इन यूनिट्स के लोग अपनी रेगुलर जॉब भी बनाए रखते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इन कॉरपोरेट ब्रिगेड्स की स्थापना विदेशों में संभावित संघर्ष और इकोनॉमी के लड़खड़ाने के चलते घरेलू सामाजिक अशांति के बारे में चीन की बढ़ती चिंताओं को उजागर करती हैं।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Feb 21, 2024 19:42 IST, Updated : Feb 21, 2024 19:52 IST
चीन की इकोनॉमी- India TV Paisa
Photo:REUTERS चीन की इकोनॉमी

पिछले दिनों आपने चीन की इकोनॉमी में सुस्ती की काफी खबरें पढ़ी होंगी। लेकिन अब चीनी कंपनियों से आई एक खबर सभी को हैरान कर रही है। चीनी कंपनियां तेजी से अपनी खुद की आर्मी बना रही हैं। तो क्या ये कंपनियां किसी युद्ध की तैयारी कर रही हैं? स्थानीय दंगों को लेकर तैयार हो रही है या किसी नई महामारी को देखते हुए यह सब हो रहा है? सवाल कई हैं। चीनी कंपनियां साल 1970 के बाद पहली बार ऐसा कर रही हैं। एक दिग्गज प्राइवेट डेयरी सहित कम से कम 16 प्रमुख चीनी कंपनियों ने अपने खुद की फाइटिंग फोर्सेस बनायी हैं।

युद्ध में मदद करने को भी रहती हैं तैयार

पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेस डिपार्टमेंट के नाम से जानी जाने वाली इन यूनिट्स के लोग अपनी रेगुलर जॉब भी बनाए रखते हैं। ये यूनिट्स दुनिया की सबसे बड़ी चीन की सेना के लिए एक रिजर्व और सहायक बल के रूप में काम करती हैं। ये यूनिट्स प्राकृतिक आपदाओं में और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने से लेकर युद्ध के दौरान भी मदद करने तक के मिशनों के लिए उपलब्ध रहती हैं। 

क्यों बनाई जा रही प्राइवेट आर्मी?

विश्लेषकों का कहना है कि इन कॉरपोरेट ब्रिगेड्स की स्थापना विदेशों में संभावित संघर्ष और इकोनॉमी के लड़खड़ाने के चलते घरेलू सामाजिक अशांति के बारे में चीन की बढ़ती चिंताओं को उजागर करती हैं। इसके अलावा इन ब्रिग्रेड्स को महामारी से निपटने की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग देश में कम्युनिस्ट पार्टी का मजबूत कंट्रोल चाहते हैं। इसमें कॉरपोरेट सेक्टर भी शामिल है।

लोगों के विरोध और कर्मचारी हड़ताल को दबाने में मिलेगी मदद

एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस में चीनी राजनीति के फेलो नील थॉमस ने कहा, "कॉरपोरेट आर्मी की वापसी शी की उस जरूरत पर बढ़ते जोर को दर्शाती है कि जैसे-जैसे देश धीमी गति से विकास और बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के अधिक कठिन भविष्य का सामना कर रहा है, आर्थिक विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ बेहतर ढंग से एकीकृत करने की आवश्यकता है।" उन्होंने कहा, "सैन्य नेतृत्व के तहत कॉरपोरेट आर्मी उपभोक्ता विरोध और कर्मचारी हड़ताल जैसी सामाजिक अशांति की घटनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से दबाने में मदद कर सकती है।"

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