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विकसित भारत : मोदी के इकॉनमी बूस्टर से चीन में खौफ! जानिए क्यों फूल रहीं पड़ोसी की सांसें

भारत तेजी से दुनिया के लिए चीन का विकल्प बनता जा रहा है। उम्मीद है कि साल 2047 तक भारत विकसित देशों में शामिल हो सकता है। साथ ही 2030 तक भारत का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

Pawan Jayaswal Written By: Pawan Jayaswal
Updated on: February 26, 2024 19:26 IST
भारतीय अर्थव्यवस्था- India TV Paisa
Photo:FILE भारतीय अर्थव्यवस्था

साल 2047 तक भारत विकसित देशों में शुमार होगा। ऐसा विभिन्न एजेंसियों का अनुमान है। लेकिन ये अनुमान चीन को बेचैन कर रहे हैं। एक बड़ी MNC में काम करने वाले लोकेश मित्तल पिछले 30 साल से देश की राजधानी से जयपुर के बीच 185 मील का सफर तय कर रहे हैं। इस जर्नी में उन्हें हमेशा 6 घंटे लगते थे। वे कहते हैं, 'पिछले 30 वर्षों से इस जर्नी को 3 घंटे का करने का वादा किया जा रहा है। लेकिन यह कभी संभव नहीं हुआ। उन्होंने हाईवे का विस्तार किया। एक लेन से दो लेन और तीन लेन तक, सब कुछ किया। लेकिन जर्नी हमेशा 6 घंटे की ही रही।'

हालांकि, पिछले साल जब मित्तल ने दोनों शहरों को जोड़ने वाले नए एक्सप्रेस-वे पर गाड़ी चलाई, तो उन्होंने आधे समय में ही यह यात्रा पूरी कर ली। उन्होंने कहा, "जब मैं पहली बार उस हाईवे पर गया तो मेरा मुंह खुला रह गया। मैं ऐसा था, 'वाह, यार, यह भारत में भी कैसे संभव है?'"

भारत की ग्रोथ स्टोरी पर बुलिश हैं विदेशी निवेशक

भारत के नए इंफ्रास्ट्रक्चर की हाई क्वालिटी उन कई कारणों में से एक है, जिसके चलते उभरते बाजारों पर फोकस्ड फंड्स और निवेशक भारत की विकास संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं। दुनियाभर के फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स पीएम मोदी के देश को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलरी इकॉनोमी बनाने के वादे को काफी सीरियसली ले रहे हैं।

चीन की आर्थिक स्थिति सही नहीं

एक तरफ भारत के आर्थिक विकास को लेकर काफी सकारात्मक माहौल है, तो दूसरी तरफ चीन आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। इन चुनौतियों में देश से पूंजी का तीव्र पलायन भी शामिल है। 2021 के उच्च स्तर के बाद से चीन के शेयर बाजारों में लगातार गिरावट आई है। इससे शंघाई, शेन्जेन और हांगकांग के मार्केट्स से 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की मार्केट वैल्यू साफ हो चुकी है। एफडीआई में पिछले साल गिरावट आई थी। जनवरी में यह फिर से गिर गया। एक साल पहले के समान महीने की तुलना में यह 12 फीसदी की गिरावट थी।

2030 तक दोगुनी से ज्यादा होगी मार्केट वैल्यू

इधर भारत का स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड हाई पर है। पिछले साल स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड कंपनियों की कुल वैल्यू 4 लाख करोड़ डॉलर को पार कर गई थी। भविष्य और भी उज्जवल है। जेफरीज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की मार्केट वैल्यू साल 2030 तक दोगुने से अधिक 10 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच सकती है। रिपोर्ट में कहा गया, 'दुनिया के बड़े निवेशकों के लिए इसे इग्नोर करना असंभव है।'

दुनिया के लिए चीन का विकल्प बन रहा भारत

दुनिया की बड़ी कंपनियां और निवेशक चीन का विकल्प खोज रहे हैं। वे चीन+1 पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। अब चीन नहीं जाना है, तो ऐसा कौन सा देश है, जो चीन की जगह ले सकता है। चीन जैसा कोई देश है, तो वह भारत है और कोई नहीं। यह वह विकल्प है, जिसे शायद दुनिया विकास को गति देने के लिए ढूंढ रही है। चीन का विकल्प तलाश रहे निवेशकों से जापान को फायदा हुआ है। टोक्यो का बेंचमार्क इंडेक्स पिछले हफ्ते 34 साल में पहली बार नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसे बेहतर हो रहे कॉर्पोरेट मुनाफे और कमजोर येन ने मदद दी। लेकिन देश मंदी की चपेट में है और हाल ही में जर्मनी के सामने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपना स्थान खो चुका है।

MSCI है भारत पर बुलिश

वहीं, ग्लोबल स्टॉक इंडेक्स कंपाइलर एमएससीआई द्वारा नवीनतम संशोधन भारत के प्रति बुलिशनेस को दर्शाता है। एमएससीआई ने इस महीने कहा कि वह अपने उभरते बाजारों के सूचकांक में भारत का भार 17.98% से बढ़ाकर 18.06% करेगा। जबकि चीन का भार घटाकर 24.77% कर देगा। एमएससीआई के सूचकांक दुनिया भर के संस्थागत निवेशकों को यह तय करने में मदद करते हैं कि पैसा कैसे आवंटित किया जाए और अपनी रिसर्च कहां केंद्रित की जाए।

स्थिर सरकार आकर्षित करेगा बड़ा निवेश

मैक्वेरी कैपिटल में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख आदित्य सुरेश ने कहा, "कुछ साल पहले एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत का भार लगभग 7% था। मुझे लगता है कि यह 18% स्वाभाविक रूप से 25% की ओर बढ़ रहा है।" आने वाले महीनों में भारत के आम चुनाव होने हैं। बाजार पर नजर रखने वाले ऐसी उम्मीद कर रहे हैं कि मोदी की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी तीसरा कार्यकाल जीतेगी। इससे अगले पांच वर्षों के लिए आर्थिक नीतियों के बारे में पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाएगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार, मोदी बहुमत के साथ वापस आते हैं और राजनीतिक स्थिरता होती है, तो निश्चित रूप से भारत में अधिक निवेशक रुचि अधिक टिकाऊ आधार पर होगी।

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