समीक्षा कहती है, “भारत के वृद्धि पथ में अपनी केंद्रीय भूमिका के बावजूद कृषि क्षेत्र को संरचनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसका देश की आर्थिक वृद्धि पर प्रभाव पड़ सकता है।”
इकोनॉमिक सर्वे देश की आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा होता है। वित्त मंत्री संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करती हैं। यह बताता है कि पिछले 1 साल में देश की इकोनॉमी कैसी रही है।
एनसीएईआर ने कहा है कि खाद्य कीमतों पर काबू पाना एक चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे की जरूरत हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पानी की कमी बढ़ती जा रही है, क्योंकि तेज आर्थिक वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण लगातार बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं के बीच पानी की खपत बढ़ रही है।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इस बात की संभावना है कि नरेन्द्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में वापस आएंगे। हालांकि उन्हें शासन में बदली हुई परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
EAC -PM के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का तीसरी तिमाही में प्रदर्शन उम्मीद से अच्छा रहा है। अब हमें इसे बनाए रखने की जरूरत है।
दूसरे देशों में जहां निवेश घट रहा है, उधर भारत में निवेश विशेष रूप से मजबूत बना हुआ है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से देश को लाभ हो रहा है।
एसएंडपी ने यह भी कहा कि भारत में कैलेंडर ईयर 2024 में ब्याज दरों में 75 आधार अंकों यानी 0.75 प्रतिशत तक की कटौती होने की संभावना है। एजेंसी ने इससे पहले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि 6.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था।
2023 में सुस्ती के बाद 2024 में व्यापार वृद्धि में तेजी आने का अनुमान है। कॉरपोरेट ग्लोबलाइजेशन बढ़ रहा है। कंपनियां अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति बढ़ा रही हैं।
भारत तेजी से दुनिया के लिए चीन का विकल्प बनता जा रहा है। उम्मीद है कि साल 2047 तक भारत विकसित देशों में शामिल हो सकता है। साथ ही 2030 तक भारत का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
रिपोर्ट में कहा है कि देश को भू-राजनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता से पैदा होने वाली विपरीत वैश्विक परिस्थितियों पर नजर रखने की जरूरत है।
जापान और जर्मनी दोनों ने छोटे तथा मझोले आकार के व्यवसायों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था का निर्माण किया। जापान के विपरीत जर्मनी ने मजबूत यूरो और मुद्रास्फीति से निपटने के लिए ठोस आर्थिक कदम उठाए। कमजोर येन भी जापान के लिए नुकसान की वजह बना।
IMF की ओर से विकास दर के अनुमान को 0.2 प्रतिशत बढ़ाया गया है। आईएमएफ का कहना है कि मजबूत घरेलू मांग के कारण भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है।
चीनी अर्थव्यवस्था के लिये चुनौतियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2016 के बाद पहली बार किसी साल में चीन का निर्यात घटा है। चीन की अर्थव्यवस्था अपस्फीति के दबाव से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है।
सेमीकंडक्टर, रिन्युअल इनर्जी, ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल, ग्रीन हाइड्रोजन, एयरोस्पेस और रक्षा, प्लग-एंड-प्ले पार्क, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, स्मार्ट ग्रीनफील्ड शहर के मामले में राज्य तरक्की की राह पर है।
चीन की इकॉनमी के लिए एक और बुरी खबर आई है। चीन की मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई दिसंबर में गिरकर 49 पर आ गई। यह सूचकांक पिछले नौ महीनों में से आठ बार गिरा है। केवल सितंबर महीने में इसमें वृद्धि हुई थी।
भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। जीडीपी के आंकड़े पर पीएम मोदी ने कहा कि यह वृद्धि दर के आंकड़े वैश्विक स्तर पर परीक्षा की घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं।
GDP: भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत की दर से विकास कर सकती है। आईसीआरए की ओर से ये अनुमान जारी किया गया है।
Fitch की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर के अनुमान में 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। वहीं, चीन पर भरोसा कम करते हुए विकास दर अनुमान को घटाकर 5 प्रतिशत के नीचे कर दिया है।
त्योहारों के दौरान अपेक्षित अच्छी डिमांड के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बनी रहने की उम्मीद है जिससे अगले छह महीनों के दौरान क्षेत्र को गति मिलने की उम्मीद है।
लेटेस्ट न्यूज़