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वित्‍त मंत्रालय ने स्‍वीकार किया सुरेश प्रभु का प्रस्‍ताव, अगले वित्त वर्ष से पेश नहीं होगा रेल बजट

अगले वित्‍त वर्ष से रेल बजट पेश करने का चलन खत्‍म होने वाला है। वित्त मंत्रालय ने रेल बजट को आम बजट में मिलाए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: August 14, 2016 16:00 IST
One Nation One Budget: वित्‍त मंत्रालय ने स्‍वीकार किया सुरेश प्रभु का प्रस्‍ताव, अगले वित्त वर्ष से पेश नहीं होगा रेल बजट- India TV Paisa
One Nation One Budget: वित्‍त मंत्रालय ने स्‍वीकार किया सुरेश प्रभु का प्रस्‍ताव, अगले वित्त वर्ष से पेश नहीं होगा रेल बजट

नई दिल्ली। अगले वित्‍त वर्ष से 92 साल पुराना रेल बजट पेश करने का चलन खत्‍म होने वाला है। वित्त मंत्रालय ने रेल बजट को आम बजट में मिलाए जाने के रेल मंत्री सुरेश प्रभु के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। रेल मंत्रालय के अनुसार वित्त मंत्रालय ने विलय के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित कर दी है, जिसमें दोनों मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। समिति से 31 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि उन्‍होंने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा था। यह रेलवे के हित में होगा और राष्ट्र के भी हित में होगा। अब इसके विलय के तौर-तरीकों पर काम शुरू हो चुका है।

रेलवे को सब्सिडी पर 32 हजार करोड़ रुपए के वार्षिक खर्च के साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से करीब 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, परियोजनाओं के पूरा होने में विलंब का परिणाम लागत में 1.07 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी के रूप में निकला और चालू 442 रेल परियोजनाओं पर आगे काम के लिए 1.86 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। यदि विलय होता है तो भारतीय रेलवे को वार्षिक रूप से लाभांश अदा करने से मुक्ति मिल जाएगी, जो उसे हर साल सरकार की ओर से व्यापक बजट सहायता के बदले में देना पड़ता है।

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अलग से रेल बजट के लगभग एक सदी पुराने चलन को खत्म करने का कदम मोदी सरकार के सुधार का एजेंडा है। विलय के साथ यात्री किराया बढ़ाने का फैसला करना वित्त मंत्री का काम होगा। प्रभु ने नौ अगस्त को राज्यसभा को भी बताया था कि उन्‍होंने वित्त मंत्री को लिखा है कि रेलवे और देश की अर्थव्यवस्था के भी दीर्घकालिक हित में रेल बजट का विलय आम बजट में किया जाए। अखिल भारतीय रेलकर्मी संघ के महासचिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि विलय से रेल मंत्रालय की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। लेकिन हमें देखना होगा कि किस तरह का विलय होगा।

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