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उचित दाम पर दालें उपलब्ध कराने के लिए सरकार कदम उठा रही है: अपर सचिव, उपभोक्ता मामले

सरकार के मुताबिक वो कीमतों इस प्रकार रखने की कोशिश कर रही है जिससे किसानों को लाभ मिले और वो दालों के उत्पादन को लेकर उत्साहित बने रहें।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 10, 2021 10:04 IST
दालों की कीमतें पर...- India TV Paisa
Photo:PTI

दालों की कीमतें पर नियंत्रण के लिये सरकार के कदम

नई दिल्ली। उपभोक्ता मामले विभाग की अपर सचिव निधि खरे ने शुक्रवार को कहा कि सरकार दालों को उचित दाम पर उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि दालों के दाम इस तरह से रखें जाए जिससे किसानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और उन्हें बेहतर उपज के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का इस्तेमाल करने का विश्वास मिले। खरे ने एक वेबिनार के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगले पांच वर्षों के दौरान हम बहुत ही वाजिब दाम पर दाल उपलब्ध करा सकेंगे। यह इस तरह से करेंगे जिससे किसानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और उन्हें खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने तथा बेहतर उपज के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का इस्तेमाल करने का विश्वास मिले।’’ इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन और इंडिया म्यांमार चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा कि दालों की कीमतों में वृद्धि के रुझान ने वास्तव में सरकार को मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर के बारे में जागरूक किया है। 

इससे पहले दलहन और अनाज व्यापार एवं उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) ने सरकार से खुदरा बाजार में दालों और अनाज की कीमतों को थोक कीमतों के मुताबिक रखने का आग्रह किया था। इसके साथ ही संघ ने आसमान छूती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल कदम उठाये जाने का आग्रह किया था। आईपीजीए ने एक बयान में कहा था कि सरकार या उपभोक्ता मामलों के विभाग को एक ऐसी प्रक्रिया तैयार करनी चाहिए जिसके जरिये दाल- दलहन के खुदरा दाम को थोक मूल्यों के साथ तालमेल बिठाते हुये उपयुक्त ढंग से समायोजित किया जा सके। आईपीजीए ने कहा कि वर्तमान में दालों की खुदरा कीमतों के मामले में कोई नियमन नहीं है, जिससे कीमतों में अंधाधुंध वृद्धि होती है और उसका खामियाजा आखिरकार उपभोक्ता को भुगतना पड़ता है। आईपीजीए ने कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाते हुये दालों और अनाज की खुदरा कीमतों को नियमन के दायरे में लाने की आवश्यकता है, ताकि ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रहे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सके।  दरअसल थोक कीमतों और खुदरा कीमतों में बड़े अंतर को देखते हुए ही कारोबारी थोक बाजार पर नियम कड़े करने के साथ साथ खुदरा बाजार में भी नियम सख्त करने की बात कर रहे हैं।

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